नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 फरवरी को 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। यह आयोजन देश भर के लेखकों और आलोचकों को एक मंच प्रदान करेगा।
प्रसिद्ध विद्वान और समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे की अध्यक्षता में पहली बार 1878 में आयोजित किया गया यह सम्मेलन 1926 से लगभग हर साल आयोजित किया जाता रहा है। बदलते समय के साथ मराठी की प्रासंगिकता सहित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए यह आयोजन विद्वानों, आलोचकों, साहित्यकारों को एक साथ लाता है।
मराठी लोक साहित्य, संस्कृति, परंपराओं एवं रंगमंच कलाकार की जानी-मानी विशेषज्ञ तारा भवालकर सम्मेलन की अध्यक्ष हैं। इस सम्मेलन का 71 सालों के बाद दिल्ली में आयोजन हो रहा है।
सम्मेलन आखिरी बार 1954 में दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसके अध्यक्ष प्रसिद्ध मराठी लेखक लक्ष्मणशास्त्री जोशी थे। सम्मेलन का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
यह एक संयोग है कि सम्मेलन की अध्यक्ष तारा भवालकर मराठी विश्वकोष पर जोशी के साथ करीब से काम कर चुकी हैं। पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद से यह पहला सम्मेलन है।
भवालकर ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।’’
उन्होंने मराठी भाषा के प्रति सरकार और आम तौर पर लोगों के उदासीन रवैये पर चिंता जताई और कहा, ‘‘लोगों के बीच रुचि पैदा करने के लिए हमें मराठी में मूलत: शोध करने और प्रकाशित करने की आवश्यकता है। अंग्रेजी भाषा की ओर रुझान बढ़ रहा है और यहां तक कि सरकार भी नए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को मंजूरी दे रही है।’’
भवालकर ने कहा कि सरकार को मराठी भाषा में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए और मातृभाषा में प्रकाशन या शोध को प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से मराठी भाषा में पढ़ाई के लिए अधिक धन प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।’’
भवालकर ने कहा कि मराठी भाषा ग्रामीण इलाकों में फल-फूल रही है जहां नियमित रूप से कई साहित्यिक समारोह आयोजित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एक मराठी साहित्यिक सम्मेलन में, भाषा बोलने वाले लोग विदर्भ, मराठवाड़ा और कोंकण और यहां तक कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी आते हैं। चर्चाएं होती हैं और कविता पाठ भी होते हैं। छोटे शहरों और कस्बों में साहित्य उत्सव हो रहे हैं और इनमें अच्छी तरह से भाग लिया जाता है और लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का मौका मिलता है।’’
तीन दिवसीय सम्मेलन तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा, जिसका नाम इस आयोजन की अवधि के लिए ‘छत्रपति शिवाजी महाराज साहित्य नगरी’ रखा जाएगा।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र रंजन
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