नई दिल्ली: पंजाब में फिरोज़पुर के निकट सुरक्षा में सेंध के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़ाफिले के एक फ्लाईओवर पर अटकने के बाद, इस पूरे मामले पर गांधी परिवार की ख़ामोशी बहुत स्पष्ट दिखाई पड़ी है.
जहां कांग्रेस पार्टी और उसके प्रवक्ताओं ने 5 जनवरी की घटना पर बहुत से बयान दिए हैं, लेकिन उसका शीर्ष नेतृत्व – कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी नेता राहुल गांधी- ने ख़ामोशी इख़्तियार की हुई है.
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जिन्हें गांधी परिवार का क़रीबी माना जाता रहा है, पीएम के क़ाफिले के रूट पर सुरक्षा में सेंध के बीजेपी के दावों पर सवाल खड़े करते रहे हैं, और ऐसा संकेत दे रहे हैं कि घटनाक्रम पर उनके रुख़ को पार्टी आलाकमान का समर्थन हासिल है. पंजाब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पहले कहा था कि सोनिया गांधी ने उन्हें निर्देश दिया है मामले को देखें, और अगर कहीं कोई चूक हुई है तो आवश्यक कार्रवाई करें. लेकिन, ख़ुद सोनिया ने इस मुद्दे पर अभी तक मुंह नहीं खोला है.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दिप्रिंट से कहा कि पीएम की सुरक्षा का ‘राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए’. वरिष्ठ बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल ने कहा कि उन्हें गांधी परिवार की ख़ामोशी पर हैरत है, क्योंकि वो ‘सुरक्षा में चूक की घटनाओं के सबसे बड़े भुक्तभोगी रहे हैं’.
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‘PM की रैली स्थल पर भीड़ न होने से रद्द हुई’
पिछले सप्ताह पीएम चुनावी राज्य में एक रैली को संबोधित किए बिना ही लौट आए थे, जब उनका क़ाफिला हुसैनीवाला के निकट एक सड़क अवरोध के चलते अटक गया था.
घटना के अगले दिन, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने चार हिस्सों में एक ट्वीट जारी किया, जिसमें कहा गया था कि पीएम रैली के लिए 10,000 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे, और सभी बंदोबस्त स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) और दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर किए गए थे.
उनके ट्वीट्स के अनुसार हरियाणा और राजस्थान से आने वाली बीजेपी कार्यकर्ताओं की सभी बसों के लिए रूट निर्धारित किया गया था.
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि पीएम की रैली रद्द किए जाने का मुख्य कारण ये था कि किसान आंदोलन की वजह से रैली स्थल पर कोई भीड़ नहीं थी, और उन्होंने इस ‘दोषारोपण के खेल’ को ख़त्म किए जाने की मांग की.
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7. Post Farmer’s agitation, Modi Govt chose to totally ignore these promises.8. Finally, the reason for canceling rally is that there were no crowds to listen to Modiji.
Stop blame game & introspect on BJP’s anti-farmer attitude.
Hold rallies but listen to Farmers first! https://t.co/kScLtNq3gg
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 5, 2022
दिप्रिंट से बात करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘किसी को भी प्रधानमंत्री की सुरक्षा को राजनीतिक मुद्दे की तरह तूल नहीं देना चाहिए’.
खेड़ा ने आगे कहा, ‘एक पार्टी के तौर पर, हम तथ्यों के साथ जवाब दे रहे हैं. चाहे वो पंजाब के सीएम चन्नी ख़ुद हों, या पार्टी प्रवक्ता हों’.
उन्होंने कहा कि वो गांधी परिवार की ख़ामोशी पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे.
एक दूसरे कांग्रेस नेता ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा कि ‘कोई भी गांधी परिवार की ओर से बोलना नहीं चाहता, या कुछ भी मानकर नहीं चलना चाहता’.
लेकिन, बीजेपी में बहुत से लोगों ने कांग्रेस के ‘पहले परिवार की ख़ामोशी की निंदा की है’.
वरिष्ठ बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल ने दिप्रिंट से कहा: ‘श्रीमती गांधी और राजीव गांधी की हत्या उन्हें और ज़्यादा आगाह करती हैं, कि सुरक्षा में सेंध के क्या परिणाम हो सकते हैं. सुरक्षा की वजह से पार्टी ने बहुत कष्ट सहा है, इसलिए इस समय उनकी ख़ामोशी हैरत में डालती है’.
खेड़ा के बयान से अलग तरह से समर्थन जताते हुए, मित्तल ने कहा कि पीएम की सुरक्षा ‘दलगत राजनीति से आगे चली जाती है’.
राहुल, प्रियंका सोशल मीडिया पर दूसरे मुद्दों पर मुखर
राहुल और प्रियंका दोनों ने जो ट्विटर पर काफी सक्रिय रहते हैं, इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है, जबकि दूसरे मुद्दों पर वो मुखर रहे हैं.
प्रियंका उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखे हमले कर रही हैं, और मीडिया से लगातार संवाद कर रही हैं.
शनिवार को, उन्होंने ट्वीट किया था कि युवाओं, किसानों, महिलाओं, मज़दूरों, व्यवसाइयों और आम लोगों के लिए कांग्रेस की लड़ाई के बाद, 10 मार्च को (चुनावी नतीजों के दिन), यूपी के लोग विजय यात्रा निकालेंगे.
Watch Me Live
https://t.co/2RuQXtBRw4— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 8, 2022
10 मार्च को उप्र के नौजवानों, किसानों, महिलाओं, श्रमिकों, व्यापारियों एवं आमजनों की जीत का मार्च होगा।
इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी नौजवानों, किसानों, महिलाओं, श्रमिकों, व्यापारियों एवं आमजनों के हकों की लड़ाई लड़ेगी।
लड़ेगा बढ़ेगा जीतेगा यूपी।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 8, 2022
इस बीच, राहुल गांधी भी काफी सक्रियता के साथ ट्वीट करके, ‘बुली बाई’ केस के घटनाक्रम को उछालते रहे हैं, और पैंगॉन्ग त्सो में सुरक्षा में चूक, सूरत गैस लीक और तेल की कीमतों आदि के मुद्दे उठाते रहे हैं.
#BulliBaiApp मामले में अभियुक्तों की कम उम्र देखकर पूरा देश पूछ रहा था कि इतनी नफ़रत आती कहाँ से है?
दरअसल भाजपा ने नफ़रत की कई फ़ैक्टरी लगा रखी हैं।#TekFog उनमें से एक है। pic.twitter.com/8MEHlWjqaH
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 8, 2022
बहुत हो चुका- अब तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम करो!#PetrolDieselPrice #FuelLoot pic.twitter.com/tMYWmVM2ab
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 5, 2022
अन्य विपक्षी नेता जिन्होंने इस घटना पर ख़ामोशी इख़्तियार की हुई है वो हैं- पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता शरद पवार, तमिलनाडु मुख्यमंत्री तथा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) प्रमुख एमके स्टालिन, और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगहमोहन रैड्डी.
बीजेपी युवा विंग के प्रमुख तेजस्वी सूर्या ने तो यहां तक कह दिया, कि इस मामले पर एमके स्टालिन की ख़ामोशी को ‘प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुए उल्लंघन के मौन समर्थन के रूप में देखा जाएगा’.
जिन विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया है वो हैं शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, जिन्होंने कहा कि मामले की जांच की जानी चाहिए, जबकि ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने कहा, कि मुकम्मल सुरक्षा उपलब्ध कराना हर सरकार का दायित्व होता है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘इसके विपरीत कोई भी स्थिति हमारे लोकतंत्र में स्वीकार्य नही है’.
The Prime Minister of India is an institution. It is the duty of every Government to provide foolproof security and safeguard the dignity of this institution. Anything contrary should be unacceptable in our democracy.
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) January 6, 2022
समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने पिछले हफ्ते कहा था कि आंदोलनकारी किसानों को पीएम को रैली स्थल तक पहुंचने देना चाहिए था, ताकि वो वहां पर रखी ख़ाली कुर्सियां देख लेते’.
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