नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वर्चुअल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों में SCO पूरे यूरेशिया क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है. उन्होंने कहा कि भारत एससीओ को एक विस्तारित परिवार के रूप में देखता है.
प्रधानमंत्री ने कहा, “वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरा विश्व एक परिवार है. ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है.”
एससीओ काउंसिल ऑफ स्टेट्स के प्रमुखों के 23वें शिखर सम्मेलन में अपने आभासी संबोधन में पीएम मोदी ने कहा,
SCO देशों के युवाओं की प्रतिभा का दोहन करने के लिए, यंग साइंटिस्ट कॉन्क्लेव, ऑथर्स कॉन्क्लेव, स्टार्टअप फोरम और यूथ काउंसिल जैसे कई नए मंच आयोजित किए गए हैं. इन प्लेटफार्मों का उद्देश्य एससीओ के युवाओं की क्षमता को प्रदर्शित करना और उन्हें सार्थक अवसर प्रदान करना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम एससीओ को एक विस्तारित पड़ोस के रूप में नहीं, बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में देखते हैं. सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण एससीओ के लिए हमारे दृष्टिकोण के स्तंभ हैं.”
उन्होंने आगे कहा, भारत ने एससीओ के भीतर सहयोग के पांच स्तंभ स्थापित किए हैं: स्टार्टअप और नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत. पिछले दो दशकों में एससीओ पूरे यूरेशिया क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है. इस क्षेत्र के साथ भारत के हजारों साल पुराने सांस्कृतिक और लोगों के आपसी संबंध हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं.
पीएम ने आगे कहा, “हमें एससीओ के भीतर भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए भारत के एआई-आधारित भाषा मंच भाषिनी को सभी के साथ साझा करने में खुशी होगी. यह डिजिटल तकनीक और समावेशी विकास का उदाहरण बन सकता है. एससीओ संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थानों में सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण आवाज बन सकता है. मुझे खुशी है कि ईरान एससीओ परिवार में एक नए सदस्य के रूप में शामिल हो रहा है.”
आतंकवाद शांति के लिए खतरा
आतंकवाद पर बोलते हुए पीएम ने कहा, “आतंकवाद क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए खतरा है. हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा. कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को आश्रय देते हैं.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में उपयोग करते हैं और आतंकवादियों को आश्रय देते हैं. SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए.
अफगानिस्तान की स्तिथि पर बोलते हुए पीएम ने कहा अफगानिस्तान की स्थिति का सीधा असर हम सभी (देशों) की सुरक्षा पर पड़ा है. अफगानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश सदस्य देशों की तरह ही हैं. हमें अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए एकजुट प्रयास करने होंगे. यह महत्वपूर्ण है कि अफगानिस्तान की भूमि का उपयोग पड़ोसी देशों में अशांति फैलाने या चरमपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जाए.
उन्होंने कहा, “भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है. 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं.”
पीएम ने आगे कहा कि हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या SCO एक ऐसा संगठन बन रहा है जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हो?
पीएम मोदी ने वर्चुअली एससीओ बैठक की अध्यक्षता की. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको, कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव और अन्य नेताओं ने SCO बैठक में भाग लिया.
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