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Tuesday, 19 November, 2024
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PM मोदी ने उत्तराखंड के 25वें स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों और पर्यटकों से नौ आग्रह किए

प्रधानमंत्री ने ‘यूनिफोर्म सिविल कोड’ को ‘सेकुलर सिविल कोड’ बताते हुए कहा कि आज उत्तराखंड ऐसे निर्णय ले रहा है जो देश के लिए उदाहरण बन रहे हैं.

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देहरादून: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए पुष्कर सिंह धामी सरकार की प्रशंसा की और राज्य के सर्वागीण विकास के लिए यहां के लोगों और पयर्टकों से नौ आग्रह किए.

प्रधानमंत्री ने यहां आयोजित पुलिस रैतिक परेड को एक वीडियो संदेश के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि आज (शनिवार) से उत्तराखंड का रजत जयंती वर्ष शुरू हो रहा है और अब हमें उत्तराखंड के उज्जवल भविष्य के लिए अगले 25 वर्ष की यात्रा शुरू करनी है.

उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि देश भी 25 वर्षों के लिए अमृत काल में है और वह विकसित भारत के लिए विकसित उत्तराखंड के संकल्प को इसी कालखंड में पूरा होते देखेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के समय उत्तराखंड बना और बेहद खुशी की बात है कि अब हम सब उत्तराखंड में अपने सपनों को साकार होते देख पा रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कुछ वर्ष पहले बाबा केदार के चरणों में बैठकर व्यक्त किए अपने उस विश्वास का ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक साबित होगा.

मोदी ने कहा कि उत्तराखंड ने उनके विश्वास को सही साबित किया है.

उन्होंने कहा कि पिछले साल एसडीजी इंडेक्स में उत्तराखंड को पहला स्थान मिला, कारोबार सुगमता में ‘अचीवर्स’ और ‘स्टार्टअप’ रैंकिंग में ‘लीडर’ कैटेगरी हासिल हुई.

मोदी ने कहा कि बीते डेढ़-दो वर्षों में उत्तराखंड की विकास दर में सवा गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में जीएसटी संग्रह में 14 प्रतिशत का उछाल दर्ज हुआ और 2014 में राज्य की प्रतिवर्ष आय सवा लाख रुपये सालाना से बढ़कर अब 2.60 लाख रुपये हो गई जबकि 2014 में राज्य का सकल घरेलू उत्पादन 1.5 लाख करोड़ से बढ़कर अब 3.5 लाख करोड़ रुपये हो गया.

उन्होंने कहा कि ये आंकडे बता रहे हैं कि उत्तराखंड में कैसे युवाओं के लिए नए अवसर बन रहे हैं और कैसे औद्योगिक तरक्की हो रही है.

उत्तराखंड में नल से जल, सड़कों की लंबाई में वृद्धि, शौचालयों का निर्माण, हर घर बिजली और उज्ज्वला गैस आदि योजनाओं की उपलब्धियां गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को केंद्र से मिलने वाला अनुदान अब दोगुना हो गया है और प्रदेश में केंद्र सरकार के दो लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही हैं.

उन्होंने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को 2026 तक पूरा किए जाने की तैयारी है जबकि देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे बनने से दोनों शहरों के बीच का सफर ढाई घंटे में पूरा हो जाएगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में इस समय विकास का महायज्ञ चल रहा है, जिससे पलायन पर रोक लग रही है और विकास के साथ विरासत को भी संजोने का कार्य जारी है.

मोदी ने इस संबंध में उन्होंने केदारनाथ धाम के भव्य और दिव्य पुर्ननिर्माण, बदरीनाथ मास्टर प्लान तथा मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत पहले चरण में 16 पौराणरिक मंदिरों को विकसित करने का विशेष उल्लेख किया.

उन्होंने कहा कि सीमांत गांवों को पहला गांव मानते हुए माणा में ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना की शुरुआत की गयी और इसके तहत प्रदेश में करीब 50 गावों का विकास किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में इस साल छह करोड़ पर्यटक और श्रद्धालु आए.

उन्होंने कहा कि 2014 से पहले चारधाम यात्रियों की संख्या 24 लाख तक ही पहुंच पा रही थी जो इस साल 54 लाख तक पहुंच गई. प्रधानमंत्री ने ‘यूनिफोर्म सिविल कोड’ को ‘सेकुलर सिविल कोड’ बताते हुए कहा कि आज उत्तराखंड ऐसे निर्णय ले रहा है जो देश के लिए उदाहरण बन रहे हैं.

मोदी ने इस संबंध में कड़े नकल विरोधी कानून का भी ज़िक्र किया.

उन्होंने कहा कि आज (शनिवार) नौ नवंबर है और नौ का अंक शुभ माना जाता है, जो शक्ति का प्रतीक होता है.

उन्होंने उत्तराखंडवासियों से पांच और यहां आने वाले पयर्टकों से चार यानि कुल नौ आग्रह किए.

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड में रहने वालों से अपनी पहचान के लिए अपनी आने वाली पीढ़ियों को गढ़वाली, कुमांउनी, जौनसारी आदि बोलियां सिखाने, पर्यावरण की रक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए एक पेड़ मां के नाम लगाने, अपने नौलों, धारों (जलस्रोतों) का संरक्षण करते हुए पानी की स्वच्छता के अभियान को गति देने, अपने गांव आते-जाते रहने और अपने पुराने घरों को होम स्टे में बदलकर आय का साधन बनाने का आग्रह किया.

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से भी हिमालय में एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से बचने, पहाड़ों में घूमने के दौरान ‘वोकल फॉर लोकल’ के तहत अपनी यात्रा का कम से कम पांच प्रतिशत खर्च स्थानीय उत्पादों को खरीदने में करने, यातायात के नियम अपनाने और तीर्थस्थलों की मर्यादा का पालन करने की अपील की.

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