कोलकाता/नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि यहां “ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए. जो ड्रामा करना चाहे, कर सकता है. पर ध्यान नीति और काम पर होना चाहिए.” पीएम मोदी ने बिहार चुनावों में विपक्ष की हार के बाद उन्हें “बेचैन” दिखते हुए बताया और अपील की कि सभी दल मतभेद भूलकर जनता के हित में संसद में मजबूत और प्रासंगिक मुद्दों पर ध्यान दें.
पीएम के इस बयान पर कांग्रेस और टीएमसी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी. पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेता और पूर्व राज्य अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “पीएम मोदी स्वयं एक ड्रामाटिस्ट हैं. ड्रामा की बात करें तो कोई पीएम मोदी से मुकाबला नहीं कर सकता.”
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि पीएम को विपक्ष को लेक्चर देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस हमेशा SIR प्रक्रिया का समर्थन करती रही है, लेकिन वर्तमान प्रक्रिया, जो फॉर्म भरने और नागरिकता साबित करने से जुड़ी है, CAA से जुड़ी हुई है, SIR नहीं. उन्होंने सवाल उठाया कि पिछले 40 लोगों की मौत के लिए सरकार की जवाबदेही कहां है.
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी कहा कि विपक्ष का SIR पर बहस करना ड्रामा नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार लोगों की आवाज़ को ड्रामा कहेगी तो अगली चुनाव में उसे सत्ता से हटाया जाएगा.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जय राम रमेश ने पीएम मोदी पर तंज कसा कि संसद में कार्रवाई से दूर रहते हुए वे राष्ट्र को बड़े-बड़े भाषण दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष को मुद्दे उठाने का अवसर न देना लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा है.
शीतकालीन सत्र 19 दिनों में 15 बैठकें आयोजित करेगा. 5 और 19 दिसंबर को प्राइवेट मेंबर बिल्स, और 12 दिसंबर को प्राइवेट मेंबर प्रस्तावों पर विचार होगा. पिछला मानसून सत्र विपक्ष के विरोध प्रदर्शन और SIR पर सवाल उठाने के कारण “वॉशआउट” माना गया था. इस बार विपक्ष हाल ही में दिल्ली रेड फोर्ट धमाके, राजधानी में हवा की गुणवत्ता और विदेश नीति जैसे मुद्दे उठाने की तैयारी कर रहा है.
इस सत्र से पहले, INDIA एलायंस के सभी दलों की बैठक हुई, लेकिन टीएमसी के सांसद बैठक में शामिल नहीं हुए. पीएम मोदी ने सभी दलों से अपील की कि शीतकालीन सत्र हार या जीत के बाद का संघर्ष न बने, बल्कि संसद देश के लिए सोचने, करने और देने का मंच बने.
