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Friday, 29 March, 2024
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‘संस्कृति और सभ्यता के कालातीत केंद्र’: PM मोदी ने ‘काशी तमिल संगमम’ का किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के कालातीत केंद्र हैं. दोनों क्षेत्र संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र हैं. 

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रम ‘काशी तमिल संगमम’ का शनिवार को उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं. एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है. काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के कालातीत केंद्र हैं. दोनों क्षेत्र संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र हैं.

पीएम मोदी ने कहा, ‘एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है, तो दूसरी और, भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र, हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है. ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है. नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों-विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों-संस्कृतियों के संगम का हमने जश्न मनाया है. इसलिए काशी तमिल संगमम् अपने आप में विशेष है, अद्वितीय है.’

इस कार्यक्रम का उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के विद्वानों, विद्यार्थियों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को एक मंच पर लाना तथा अपने श्रेष्ठ परंपराओं को साझा करना और एक दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करना है.

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कार्यक्रम में तमिलनाडु के 2,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

इस अवसर पर, दोनों क्षेत्रों के हथकरघा, हस्तशिल्प, पुस्तकों, वृत्तचित्रों, व्यंजनों, कलाकृतियों, पर्यटन स्थलों आदि की एक प्रदर्शनी भी यहां लगाई गई है.

कार्यक्रम की दो क्रियान्वयन एजेंसियां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास और काशी हिंदू विश्वविद्यालय हैं. कार्यक्रम में उप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.

सीएम आदित्यनाथ ने कहा, ‘यह आयोजन आज़ादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को जीवित कर रहा है… काशी और तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं.’

उन्होंने कहा, ‘तमिल भाषा का साहित्य अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है. यह मान्यता है कि भगवान शिव के मुंह से जो दो भाषाएं निकलीं उनमें तमिल और संस्कृत समान रूप से एक साथ निकलकर अपने समृद्ध साहित्य के लिए जानी जाती है.’

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


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