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Friday, 26 September, 2025
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प्रधानमंत्री मोदी ने इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ा, लगातार 12 स्वतंत्रता दिवस भाषण दिए

इंदिरा गांधी जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक और फिर जनवरी 1980 से अक्टूबर 1984 में उनकी हत्या तक प्रधानमंत्री रहीं. उन्होंने कुल 16 बार 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के रूप में संबोधन दिया, जिनमें से 11 लगातार थे.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लगातार 12 बार लाल किले की प्राचीर से भाषण देकर इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ दिया. अब वह इस मामले में जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे स्थान पर हैं, जिन्होंने लगातार 17 स्वतंत्रता दिवस संबोधन दिए थे.

इंदिरा गांधी जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक और फिर जनवरी 1980 से अक्टूबर 1984 में उनकी हत्या तक प्रधानमंत्री रहीं. उन्होंने कुल 16 बार 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के रूप में संबोधन दिया, जिनमें से 11 लगातार थे.

नेहरू, जो भारत के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे (1947-63), ने लाल किले से 17 बार राष्ट्र को संबोधित किया. भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1964 और 1965 में लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर भाषण दिया.

आपातकाल के बाद, मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री के तौर पर लाल किले से दो बार भाषण दिया. चौधरी चरण सिंह ने 1979 में केवल एक बार स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया.

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, राजीव गांधी ने लाल किले से पांच बार प्रधानमंत्री के रूप में भाषण दिया.

वीपी सिंह ने 1990 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से केवल एक बार राष्ट्र को संबोधित किया.

पीवी नरसिम्हा राव ने 1991 से 1995 तक लगातार चार वर्षों तक लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया.

एचडी देवगौड़ा और इंदर कुमार गुजराल ने क्रमशः 1996 और 1997 में एक-एक बार स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया.

अटल बिहारी वाजपेयी, जो मार्च 1998 से मई 2004 तक प्रधानमंत्री रहे, ने स्वतंत्रता दिवस पर छह बार भाषण दिया.

मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक लगातार दस वर्षों तक राष्ट्र को संबोधित किया.

पिछले साल, पीएम मोदी ने अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह का रिकॉर्ड तोड़ते हुए लगातार 11वीं बार लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया.

उन्होंने पिछले साल अब तक का सबसे लंबा स्वतंत्रता दिवस भाषण भी दिया, जो 98 मिनट का था.

मोदी के 15 अगस्त के भाषण में हमेशा उस समय के अहम मुद्दों और उनके कार्यकाल में देश की प्रगति का ज़िक्र होता है. वह अक्सर इसमें नीतिगत पहल या नई योजनाओं की घोषणा भी करते हैं.

15 अगस्त 2024 के अपने संबोधन में उन्होंने वर्तमान ढांचे को “साम्प्रदायिक” और “भेदभाव को बढ़ावा देने वाला” बताते हुए “धर्मनिरपेक्ष” नागरिक संहिता के लिए स्पष्ट रूप से समर्थन किया और साथ ही एक साथ चुनाव कराने की वकालत भी की.


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