नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्योगपति गौतम अदाणी और चीन के सामने ‘सरेंडर’ (आत्मसमर्पण) कर दिया है।
पार्टी नेता अजय कुमार ने कांग्रेस के ‘नरेन्दर सरेंडर’ वाले अभियान के तहत अदाणी समूह और चीन से जुड़े विषयों को लेकर आरोप लगाए।
कांग्रेस के आरोपों पर फिलहाल अदाणी समूह या सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अदाणी और नरेन्द्र मोदी की जोड़ी ने शोले फिल्म के ‘जय-वीरू’ की जोड़ी को पीछे छोड़ दिया है। ट्रंप के सामने नरेन्द्र मोदी के ‘सरेंडर’ का जो सिलसिला चल रहा है, वो कई साल के अभ्यास के बाद हुआ है।
उन्होंने दावा किया कि नरेन्द्र मोदी जहां भी जाते हैं या अदाणी जहां भी चाहते हैं, उनको ठेका मिल जाता है।
कुमार ने सवाल किया, ‘‘हमें समझ नहीं आता कि आखिर नरेन्द्र मोदी ने अदाणी के आगे सरेंडर क्यों कर दिया है? अदाणी के लिए नरेन्द्र मोदी ने देश को खतरे में क्यों डाल दिया है?’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि नरेन्द्र मोदी का पूरा सरकारी तंत्र ये सुनिश्चित करता है कि अदाणी का कारोबार बढ़ता रहे।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद, मंगलुरु, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के हवाई अड्डे अदाणी को सौंप दिए। नरेन्द्र मोदी ने सरकारी बैंकों को अदाणी का एटीएम बना दिया है।’’
कुमार ने चीन को लेकर दावा किया, ‘‘2014 में जब शी चिनफिंग और नरेन्द्र मोदी झूला झूल रहे थे, तब चीन ने सीमा में घुसने की कोशिश की थी, तब भी इन्होंने कुछ नहीं किया।
प्रधानमंत्री मोदी खुलकर चीन का नाम तक नहीं ले पा रहे हैं, वहीं ‘छोटी आंख’ वाला बयान देकर पूर्वोतर को भी बदनाम कर रहे हैं।’’
उनका कहना था कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है, लेकिन उस पर कोई चर्चा नहीं है, जबकि यह पूरे पूर्वोत्तर की परिस्थिति को बदल देगा।
कुमार ने कहा कि इसको लेकर सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आ रहा है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य संघर्ष के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने ‘सरेंडर’ कर दिया और सैन्य अभियान रोक दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार कहा कि राहुल गांधी का आरोप न केवल सशस्त्र बलों और देश का घोर अपमान है, बल्कि यह देशद्रोह से कम नहीं है।
भाषा हक प्रशांत
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