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Thursday, 28 August, 2025
होमदेशउप्र में क्यूआर कोड-आधारित संपत्ति जांच, तत्काल रजिस्ट्री, किराया समझौता सरल बनाने की योजना: जायसवाल

उप्र में क्यूआर कोड-आधारित संपत्ति जांच, तत्काल रजिस्ट्री, किराया समझौता सरल बनाने की योजना: जायसवाल

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(किशोर द्विवेदी)

लखनऊ, 24 अगस्त (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार के स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार संपत्ति के स्वामित्व के लिए क्यूआर कोड आधारित सत्यापन शुरू करेगी, तत्काल स्वामित्व अद्यतन के लिए राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के साथ भूमि रजिस्ट्री डेटा को एकीकृत करेगी और न्यूनतम स्टांप शुल्क के साथ किराया समझौतों को सरल बनाएगी।

जायसवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि यह सुधार राज्य के महत्वाकांक्षी ‘विज़न 2047’ का हिस्सा हैं और कुछ प्रक्रियाओं के मार्च 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में पंजीकरण के बाद खरीदार का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होने में 35-40 दिन लगते हैं, जल्द ही लेनदेन को अंतिम रूप देने से पहले रिकॉर्ड सत्यापित करने के लिए पंजीकरण कार्यालयों में राजस्व अधिकारी तैनात किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि पंजीकरण के तुरंत बाद खरीदार का नाम अपडेट कर दिया जाएगा, जिससे उन्हें तुरंत मालिकाना हक मिल जाएगा। वाराणसी से भाजपा विधायक जायसवाल ने कहा कि एक अन्य प्रमुख पहल का उद्देश्य उच्च स्टाम्प शुल्क को कम करके संपत्ति मालिकों को किरायेदारी समझौतों को औपचारिक बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

भाजपा विधायक ने कहा कि कई मकान मालिक कानूनी पेचीदगियों और किरायेदारों के अधिक समय तक रहने के डर से अपने घरों को किराए पर देने से हिचकिचाते हैं। चार प्रतिशत की वर्तमान स्टांप ड्यूटी पंजीकरण को महंगा बना देती है, जिससे लोग अपंजीकृत समझौतों का विकल्प चुनते हैं, जिनका कोई कानूनी मूल्य नहीं होता।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम किरायेदारी समझौतों के पंजीकरण के लिए 500 रुपये से 1,000 रुपये का एक निश्चित शुल्क लागू करने की योजना बना रहे हैं ताकि मकान मालिक और किरायेदार दोनों अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।’

मंत्री ने कहा कि विभाग पारिवारिक संपत्ति के निपटान को सरल बनाने के लिए भी काम कर रहा है।

उन्होंने का कि अक्सर, पारिवारिक विवाद अदालतों में वर्षों तक चलते रहते हैं। जायसवाल ने कहा, ‘‘ हम 5,000 रुपये के एक निश्चित शुल्क पर चार पीढ़ियों तक के लिए निपटान की अनुमति देने की योजना बना रहे हैं, जिससे स्पष्टता सुनिश्चित होगी और मुकदमेबाजी कम होगी।’’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद से उत्तर प्रदेश में संपत्ति पंजीकरण में वृद्धि देखी गई है, जिसका श्रेय बेहतर कानून-व्यवस्था और निवेशकों के विश्वास को दिया जा सकता है। 2017-18 में, सालाना लगभग 16 लाख संपत्ति पंजीकरण किए गए थे।

जायसवाल ने कहा कि यह संख्या अब बढ़कर लगभग 50 लाख हो गई है और बढ़े कार्यभार को कम करने के लिए, राज्य सरकार पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर पंजीकरण कार्यालयों का आधुनिकीकरण करने की योजना बना रही है, जिसमें वातानुकूलित हॉल, फ़र्नीचर, हेल्प डेस्क और अपॉइंटमेंट के लिए टोकन सिस्टम शामिल होंगे।

मंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य नागरिकों को सुखद और कुशल अनुभव प्रदान करना है।

जायसवाल ने यह भी कहा कि विभाग जल्द ही 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये और 100 रुपये के आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले स्टाम्प पेपर के लिए ‘एटीएम’ शुरू करेगा, जिनकी सालाना बिक्री लगभग 800 करोड़ रुपये है।

उन्होंने कहा कि पंजीकरण कार्यालयों में जाने के बजाय, नागरिक इन एटीएम से आसानी से स्टाम्प पेपर निकाल सकेंगे, ठीक वैसे ही जैसे बैंक एटीएम से नकद निकासी की जाती है।

मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण तेज़ी से हो रहा है और खरीदारों को संपत्तियों के स्वामित्व और लेन-देन के इतिहास को सत्यापित करने में मदद करने के लिए क्यूआर कोड विकसित किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा,‘‘ जल्द ही, संपत्ति खरीदने की योजना बनाने वाला कोई भी व्यक्ति क्यूआर कोड स्कैन करके उसके स्वामित्व का विवरण, पिछले लेन-देन और विक्रेता कानूनी रूप से प्रस्तावित पूरे क्षेत्र को बेचने का हकदार है या नहीं, यह जान सकेगा।’’

जायसवाल ने कहा कि इससे खरीदारों को धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा और ऐतिहासिक स्वामित्व डेटा छह महीने के भीतर ऑनलाइन उपलब्ध होगा।

राज्य ने हाल ही में महिला खरीदारों के लिए स्टाम्प शुल्क में छूट की घोषणा की है, जिससे एक करोड़ रुपये तक की संपत्तियों पर एक प्रतिशत की छूट मिलेगी। यह कदम महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के प्रयासों का हिस्सा है।

जायसवाल ने कहा कि यदि एक करोड़ रुपये की संपत्ति किसी महिला के नाम पर पंजीकृत है, तो वह तुरंत एक लाख रुपये बचा लेती है। विभाग की राजस्व रणनीति के बारे में मंत्री ने कहा कि कर का बोझ बढ़ाने के बजाय लेन-देन को आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पिछले सात-आठ वर्षों में सर्किल दरें नहीं बढ़ाई हैं, सिवाय उन क्षेत्रों को छोड़कर जहाँ भूमि अधिग्रहण के लिए अधिक मुआवज़ा देय था।’’

जायसवाल ने कहा कि रियायतों के बावजूद स्टाम्प और पंजीकरण से राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2017 में 16,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब लगभग 35,000 करोड़ रुपये हो गया है।

उन्होंने कहा कि लगभग 8.5 लाख नागरिकों को विभिन्न छूटों का लाभ मिला है। मंत्री ने कहा कि सरकार का व्यापक लक्ष्य संपत्ति में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम केवल राजस्व उत्पन्न करने के लिए सर्किल दरें बढ़ाने में विश्वास नहीं करते। इसके बजाय, जैसे-जैसे लोग अधिक समृद्ध होते हैं, वे घरों, वाहनों और अन्य संपत्तियों में निवेश करेंगे, जिससे स्वाभाविक रूप से राज्य का राजस्व बढ़ेगा।’’

जायसवाल ने पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने में आने वाली चुनौतियों को भी स्वीकार किया।

उन्होंने कहा ,‘‘ वर्तमान में स्टाम्प शुल्क गणना के लिए 42 प्रकार के मानदंड हैं, जो भ्रम पैदा करते हैं। हम इन्हें लगभग 18-20 तक सरल बनाना चाहते हैं, ताकि लोगों को आवासीय, वाणिज्यिक या कृषि भूमि के नियमों की स्पष्ट जानकारी हो।’’

उन्होंने कहा कि भूमि उपयोग के सत्यापन में भी तेजी लाई जाएगी। जायसवाल ने कहा, ‘‘ हमारा लक्ष्य खरीद के तीन महीने के भीतर सत्यापन पूरा करना है ताकि कर और भूमि उपयोग के नियमों को बिना किसी अनावश्यक देरी के लागू किया जा सके।’’

उन्होंने कहा कि ये सुधार एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली का निर्माण करेंगे, जिससे पूरे उत्तर प्रदेश में संपत्ति खरीदारों, विक्रेताओं और किरायेदारों को लाभ होगा।

भाषा किशोर मनीष आनन्द शोभना

शोभना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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