नई दिल्ली: देश की आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित 21,506 बस्तियों में से केवल 1109 बस्तियों में ही पाइप से जलापूर्ति योजनाएं लागू हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी है.
जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति की दिसंबर में संसद में पेश रिपोर्ट के अनुसार, विभाग ने समिति को लिखित उत्तर में बताया, ‘आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित 21,506 बस्तियों में से केवल 1,109 प्रभावित बस्तियों में राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत पाइप से जलापूर्ति योजनाएं लागू हैं.’ समिति ने कहा है कि यह नोट कर दुखी है कि देश के कई हिस्सों में लोग अभी भी जल प्रदूषण के चलते गंभीर स्वास्थ्य खतरों का सामना कर रहे हैं. इसी के मद्देनजर समिति ने सिफारिश की है कि ‘जल जीवन मिशन’ के तहत प्राथमिकता के आधार पर पाइपलाइन बिछाएं और जल आपूर्ति करें.
विभाग ने देश में आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण बसावटों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये 22 मार्च 2017 को राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन की शुरूआत की थी और 30 सितंबर 2019 की स्थिति के अनुसार इनमें से 1,109 प्रभावित बस्तियों में यह योजना लागू है.
विभाग के आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश में आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित 264 बस्तियों में से 53 बस्तियों में, असम में 4,368 प्रभावित बस्तियों में से केवल 131 में, बिहार में प्रभावित 1,509 बस्तियों में से 437 बस्तियों में, छत्तीसगढ़ में आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित 281 बस्तियों में से केवल 5 बस्तियों में, राजस्थान में 3,969 बस्तियों में से केवल 80 में और पश्चिम बंगाल में 8,476 बस्तियों में से केवल 131 बस्तियों में पाइप से पेयजल उपलब्ध कराने की योजना लागू है.
हरियाणा में आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित 87 बस्तियों में से 16 में, झारखंड में 216 बस्तियों में से केवल 9 में, कर्नाटक में 264 बस्तियों में से केवल 26 में, केरल में 32 में से 3 बस्तियों में, पंजाब में प्रभावित 979 बस्तियों में से 25 में तथा मध्यप्रदेश में 143 प्रभावित बस्तियों में से केवल चार में पाइप से पानी की आपूर्ति की जा रही है.