कोच्चि, 31 जनवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि मलयालम फिल्म ‘चुरुली’ को ‘ओटीटी’ मंच से हटाने के लिए दायर जनहित याचिका लोगों के हित के लिए नहीं बल्कि प्रचार पाने के लिए है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म के प्रदर्शन से किसी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं हुआ है।
इन टिप्पणियों के साथ न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सेंसर बोर्ड की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ग्रेशियस कुरियाकोस ने कहा कि फिल्म को ‘ए’ प्रमाणन और संबंधित चेतावनी के साथ प्रदर्शन के लिए मंजूरी दी गई है।
अदालत वकील पैगी फेन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है और इसे ‘ओटीटी’ मंच से हटा दिया जाना चाहिए।
यह फिल्म 19 नवंबर को ‘ओटीटी’ मंच पर प्रदर्शित की गयी थी। याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म में गंदे शब्द हैं जो खास तौर पर महिलाओं और बच्चों के लिए आपत्तिजनक हो सकते हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह फिल्म सेंसर बोर्ड के नियमों का पालन नहीं करती और शराब या धूम्रपान के उपयोग वाले दृश्यों के समय कोई वैधानिक चेतावनी नहीं प्रदर्शित की जाती है जबकि यह अनिवार्य है।
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अविनाश अनूप
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