नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को भौतिक रूप से अदालती कार्यवाही को पूरी तरह बहाल कर दिया। इसके पहले कोरोना महामारी के कारण प्रत्यक्ष सुनवाई बाधित होने से आभासी (वर्चुअल) माध्यम से सुनवाई की जा रही थी।
सभी न्यायाधीशों ने वास्तविक सुनवाई करना शुरू कर दिया है। हालांकि पक्षकारों और अधिवक्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत के समक्ष उपस्थित होने की सुविधा देने वाले ‘‘मिश्रित तंत्र’’ को जारी रखा गया है। महामारी के कारण मार्च 2020 से उच्च न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअल आधार पर कार्यवाही कर रहा है। हालांकि इसके बाद कुछ पीठों ने बारी-बारी से प्रत्यक्ष सुनवाई करना भी शुरू किया।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 22 नवंबर से वास्तविक सुनवाई फिर से शुरू की थी, लेकिन उसे 30 दिसंबर को फिर निलंबित कर दिया गया था। कोरोना वायरस की तीसरी लहर के कारण अदालतों की कार्यवाही फिर से वर्चुअल माध्यम से करने का फैसला लिया गया था। इससे पहले 15 मार्च, 2021 से वास्तविक सुनवाई फिर से शुरू की गई थी, लेकिन 8 अप्रैल, 2021 को अदालत ने आदेश दिया कि दूसरी लहर के कारण मामलों की सुनवाई केवल वर्चुअल माध्यम से होगी।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल अदालत भवन के अंदर अधिवक्ताओं और पक्षकारों के प्रवेश को विनियमित करने के लिए खुद की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की थी। अदालत ने कहा था कि फ्लू, बुखार और खांसी के लक्षण वालों को अंदर प्रवेश नहीं दिया जायेगा।
भाषा संतोष नरेश
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