नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को फोन टैपिंग मामले में आरोपी तेलंगाना के विशेष आसूचना ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख टी. प्रभाकर राव को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने राव को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया और कहा कि उनका पासपोर्ट उन्हें उपलब्ध कराया जाए।
फोन टैपिंग मामले में मुख्य आरोपी राव के अमेरिका में होने का संदेह है। पुलिस के एक अधिकारी ने पहले बताया कि उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है और उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने राव को यह हलफनामा देने का भी निर्देश दिया कि वह पासपोर्ट प्राप्त होने के तीन दिन के भीतर भारत लौट आएंगे।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने राव की अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया।
मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी।
राव ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
हैदराबाद की एक अदालत ने 22 मई को फोन टैपिंग मामले में राव के खिलाफ आदेश जारी किया है जिसके अनुसार, अगर राव 20 जून तक अदालत के सामने पेश नहीं होते हैं तो उन्हें “भगोड़ा” घोषित किया जा सकता है।
यदि किसी व्यक्ति को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया जाता है, तो अदालत आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दे सकती है।
एसआईबी के निलंबित डीएसपी समेत चार पुलिस अधिकारियों को हैदराबाद पुलिस ने मार्च 2024 में गिरफ्तार किया था। इन पर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से खुफिया जानकारी मिटाने और पिछली बीआरएस सरकार के दौरान कथित तौर पर फोन टैपिंग का आरोप है। बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
भाषा प्रशांत मनीषा
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