नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर किसी तरह की छूट पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि शराब की बोतल छूट के साथ बेचना कोई स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि प्रतिस्पर्धा विरोधी है जो स्पष्ट रूप से अनुचित है। उसने दिल्ली सरकार के वकील की इस दलील से सहमति जताई कि शराब के एमआरपी पर छूट खत्म करने के दिल्ली आबकारी आयुक्त के 28 फरवरी के आदेश पर किसी तरह की रोक से बाजार में स्थिति खराब होगी।
अदालत ने अनेक शराब लाइसेंस धारकों के अंतरिम आवेदनों को खारिज कर दिया और कहा कि आयुक्त का फैसला प्रथमदृष्टया प्रतिकूल नहीं है। याचिकाओं में 28 फरवरी के आदेश को चुनौती दी गयी थी।
न्यायमूर्ति कामेश्वर राव ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘‘इस अदालत की प्रथमदृष्टया राय है कि इस मामले के तथ्यों और नियमों की स्थिति को देखते हुए संविधान का अनुच्छेद 14 लागू नहीं होता। केवल दस लाइसेंस धारक हैं जिन्होंने कथित आदेश को चुनौती दी है।’’
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी थी कि सरकार के आदेश का परीक्षण इस आधार पर होना चाहिए कि उसमें क्या कहा गया है और अधिकारियों को उनके जवाबी हलफनामे के माध्यम से उन कारणों को शामिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती जो आदेश का हिस्सा नहीं है।
अदालत ने सरकार के आदेश को पढ़ा और कहा कि इससे पता चलता है कि अधिकारियों ने रेखांकित किया है कि छूट देने से बाजार में स्थिति खराब होती है।
अदालत ने मुख्य याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 25 मार्च की तारीख तय की।
आबकारी आयुक्त के आदेश में यहां शराब के एमआरपी पर किसी तरह की छूट पर रोक लगा दी गयी थी।
दिल्ली सरकार ने याचिकाओं का विरोध करते हुए दलील दी थी कि छूट से शराब की तस्करी बढ़ रही है।
भाषा वैभव नरेश
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