अहमदाबाद, चार फरवरी (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने देवभूमि द्वारका जिले में उन भूखंड पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने के निर्देश से जुड़े नोटिस को चुनौती देने वाली याचिकाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया, जहां दो कब्रिस्तान, दो दरगाह और एक मदरसा है।
न्यायमूर्ति मौना भट्ट की अदालत ने कहा कि सरकार ने कहा है कि वह हाजी किरमानी दरगाह पर कोई तोड़फोड़ नहीं करेगी, जिसका निर्माण 1999 में उचित अनुमति के बाद बेट द्वारका द्वीप के एक भूखंड पर किया गया था।
याचिकाकर्ता ‘बेत भडेला मुस्लिम जमात’ ने दलील दी थी कि ये संरचनाएं वक्फ संपत्तियां हैं और धार्मिक प्रकृति की हैं तथा इनसे (मुस्लिम) समुदाय की भावनाएं भी जुड़ी हैं।
याचिका में दावा किया गया था कि तोड़फोड़ के लिए जारी किए गए नोटिस के सिलसिले में “कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, वे अस्पष्ट प्रकृति के हैं और उनमें विस्तार से बातें नहीं बताई गई हैं।”
याचिका में दलील दी गई थी कि नोटिस गुजरात नगर पालिका अधिनियम की धारा 185 के प्रावधान के तहत जारी नहीं किए गए।
उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया कि उनमें दम नहीं है। उच्च न्यायालय ने पहले दी गई अंतरिम राहत भी हटा दी और आगे अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय ने सरकार की यह दलील स्वीकार कर ली कि 1986 और 1989 के सरकारी प्रस्तावों में यह स्पष्ट किया गया है कि श्मशान या कब्रिस्तान के लिए आवंटित भूमि सरकार की है तथा ऐसी भूमि पर प्रांत अधिकारी की अनुमति से बाड़ लगाए जाने के अलावा कोई और निर्माण गतिविधि नहीं की जा सकती।
भाषा राजकुमार पारुल
पारुल
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.