नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) केंद्र सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में एक ‘कैविएट’ दायर की और वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित किए जाने से पहले सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया।
‘कैविएट’ किसी पक्षकार द्वारा उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।
अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए राजनीतिक नेताओं और ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ (एआईएमपीएलबी) तथा जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिकाओं सहित 10 से अधिक याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गई हैं।
इस घटनाक्रम से अवगत वकीलों ने बताया कि ये याचिकाएं 15 अप्रैल को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है, हालांकि अभी यह शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं हो रही है।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सात अप्रैल को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी थी, जिसे पिछले हफ्ते संसद के दोनों सदनों में लंबी चर्चा के बाद पारित किया गया था।
भाषा सुभाष नेत्रपाल
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