नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि 10वीं कक्षा उत्तीर्ण कर चुके कुछ छात्रों को पूरी कक्षा का विस्तृत ‘स्कोर कार्ड’ उपलब्ध नहीं कराया जा सकता, जिन्होंने आरोप लगाया है कि ओडिशा के एक स्कूल ने अंक प्रदान करने में अपने कदाचार को छिपाने के लिए इसे (स्कोर कार्ड) देने से मना कर दिया।
सीबीएसई ने शीर्ष न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि तीन सदस्यीय एक जांच समिति ने पिछले साल अगस्त में अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि स्कूल ने ‘टैबुलेशन’ नीति के मुताबिक 10वीं कक्षा के छात्रों के परीक्षा परिणाम तैयार किये थे।
यह विषय शुक्रवार को न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिसने इसकी सुनवाई दो हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी।
ओडिशा के स्कूल से 10वीं कक्षा उत्तीर्ण 24 छात्रों ने याचिका दायर कर सीबीएसई को समीक्षा करने और स्कूल से सही रिकार्ड एकत्र करने के बाद, एक मई 2021 की बोर्ड की मूल्यांकन नीति के आधार पर उनके परिणाम फिर से घोषित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।
अधिवक्ता रवि प्रकाश के मार्फत दायर याचिका में शीर्ष न्यायालय से स्कूल के खिलाफ इसे लेकर जांच का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि संस्थान ने अवैध रूप से पैसों की मांग की और 10वीं कक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए उसी स्कूल में 11 वीं कक्षा में दाखिले के वास्ते अनुचित दबाव डाला।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिन छात्रों ने उसी स्कूल में 11वीं कक्षा में दाखिला लेने से मना कर दिया, उनके अंक अवैध रूप से घटा दिये गये।
याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई की 10वीं कक्षा की परीक्षा कोविड-19 महामारी के चलते पिछले साल अप्रैल में रद्द कर दी गई थी और मई 2021 में बोर्ड ने मूल्यांकन नीति अधिसूचित की थी।
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सुभाष नरेश
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