नई दिल्ली: इंडियन डायटेटिक एसोसिएशन ने केंद्र की सेंट्रल विस्टा योजना के स्थगन के बाद 20,000 रुपये की उस राशि से देश में पोषण अभियान शुरू करने की मांग की है. इसके लिए पेटीशन साइन कराने का अभियान चलाया जा रहा है.कोविड-19 ने हमें कई मूल्यवान सबक सिखाए हैं. साथ ही इसने संक्रामक रोगों के माध्यम से मानव जीवन के लिए खतरों को उजागर भी किया है. किसी भी तरह की महामारी से सही समय के दौरान लड़ने में मदद करने वाले उपाय हैं- एक स्वस्थ आबादी, इलाज के लिए पर्याप्त अस्पताल. इन दोनों ही मामलों में भारत की हालत बहुत ठीक नहीं है.
सेंट्रल विस्टा के इस फंड को पोषण के अभियान में बदलने की मांग वाले इस पेटीशन पर हस्ताक्षर अभियान शुरू हो चुका है.
इसके अलावा, भारत जैसे देश में सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपाय भी बहुत कारगर नहीं हैं. यहां शहरों में बसी झुग्गी झोपड़ियों की संख्या भी बहुत है. इसलिए हमारा ध्यान अन्य उपायों पर भी होना चाहिए जिन्हें तुरंत प्रभाव से लागू किया जा सके. भारत की एक बहुत बड़ी आबादी कुपोषित है. प्रजनन के दौरान 51.4% महिलाओं में खून की कमी (एनीमिक) है. 9.1% वयस्क पुरुष और 8.3% महिलाएं मधुमेह के रोग से ग्रस्त हैं.
मोटापा, जो पोषण की कमी का ही एक रूप है, भी भारत में फैला हुआ है. 5.1% महिलाओं और 2.7% पुरुषों में मोटापा है. भारत का चाइल्ड वेस्टिंग रेट 20.8 प्रतिशत है जो दुनिया में सबसे अधिक है.
साल 2019 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 117 देशों में 102वें स्थान पर है. जबकि साल 2018 में हम 95वें रैंकिंग पर थे. आज, भारत अपने पड़ोसी देशों नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है. पोषण की कमी वाली आबादी कोरोना वायरस जैसी महामारी का सामना नहीं कर सकती है. हालांकि, ऊपर बताई गईं सभी समस्याएं रोके जा सकने योग्य और सीधे आहार से जुड़ी हैं.
भारत की स्थिति अपने नागरिकों की देखभाल के लिए पर्याप्त अस्पताल देने के मामले में बहुत खराब है. यह हमारे निवारक उपायों को जगह देने का एक और कारण है. इस पेटिशन का उद्देश्य एक स्वस्थ आबादी को सुनिश्चित करना है जो इस तरह की बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार रहे.
हम एक दृढ़ लीडरशिप दिखाने वाले माननीय प्रधान मंत्री से अपील करते हैं कि दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के लिए दिए 20,000 करोड़ रुपए के बजट को रिलोकेट किया जाए. सेंट्रल विस्टा में संसद भवन व राजपथ के आसपास की इमारतें शामिल थी. इस महामारी के मद्देनजर भारत के पोषण कल्याण को ध्यान में रखा जाए.