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शुक्रवार, 6 जून, 2025
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श्री बांके बिहारी मंदिर गलियारे के संबंध में फैसले में संशोधन के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की प्रस्तावित पुनर्विकास योजना को मंजूरी देने संबंधी शीर्ष अदालत के आदेश में संशोधन किये जाने का अनुरोध किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने 15 मई को मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर गलियारे को विकसित करने की उत्तर प्रदेश सरकार की योजना का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।

न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की उस याचिका को स्वीकार कर लिया था जिसमें कहा गया था कि श्री बांके बिहारी मंदिर की निधि का इस्तेमाल केवल मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि खरीदने और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बनाये गये निरुद्ध क्षेत्र (होल्डिंग एरिया) बनाने के लिए किया जाए।

देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने 19 मई को एक याचिका दायर की और कहा कि प्रस्तावित पुनर्विकास परियोजना का कार्यान्वयन अव्यावहारिक है और मंदिर के कामकाज से ऐतिहासिक और परिचालन रूप से जुड़े लोगों की भागीदारी के बिना मंदिर परिसर के पुनर्विकास का कोई भी प्रयास प्रशासनिक अराजकता का कारण बन सकता है।

याचिका में दावा किया गया है, ‘‘इस तरह के पुनर्विकास से मंदिर और उसके आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक चरित्र के बदलने की आशंका है, जिसका गहरा ऐतिहासिक और भक्ति संबंधी महत्व है।’’

गोस्वामी की ओर से अधिवक्ता आशुतोष झा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उनके मुवक्किल मंदिर के संस्थापक स्वामी हरिदास गोस्वामी के ‘‘वंशज’’ हैं और उनका परिवार पिछले 500 वर्षों से पवित्र मंदिर का प्रबंधन कर रहा है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि वह मंदिर के दैनिक धार्मिक और प्रशासनिक मामलों के प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल थे।

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आठ नवंबर, 2023 के उस आदेश को 15 मई को संशोधित किया था, जिसमें राज्य की महत्वाकांक्षी योजना को स्वीकार किया गया था, लेकिन राज्य को मंदिर की निधि का इस्तेमाल करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था।

भाषा

देवेंद्र सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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