नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर प्राधिकारों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ नाम से ट्रेडमार्क के पंजीकरण की अनुमति न दें। याचिका में कहा गया है कि इसका व्यावसायिक दोहन के लिये दुरुपयोग नहीं करने दिया जाना चाहिए।
पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के गढ़ समेत नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या के दो सप्ताह बाद ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ के तहत सैन्य हमले किए गए।
देव आशीष दुबे नामक व्यक्ति द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि पांच लोगों ने संबंधित ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में शिक्षा और मनोरंजन जैसी सेवाओं से संबंधित वर्ग 41 के तहत ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ नाम और शैली के तहत ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए आवेदन किया है।
अधिवक्ता ओम प्रकाश परिहार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘‘ऑपरेशन सिंदूर’ से ना केवल देश के लोगों की, बल्कि देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों और 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों की भी भावनाएं जुड़ी हैं।’’
याचिका में कहा गया है कि ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ नाम मुख्य रूप से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जान देने वाले कई सैनिकों की विधवाओं के बलिदान का प्रतीक है।
याचिका में दावा किया गया, ‘‘‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत उक्त अभियान का व्यावसायिक दोहन के लिए दुरुपयोग नहीं करने दिया जाना चाहिए…जो केवल अपने व्यावसायिक लाभ के लिए जनता की भावनाओं का फायदा उठाना चाहते हैं।’’
भाषा आशीष दिलीप
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