scorecardresearch
शुक्रवार, 25 अप्रैल, 2025
होमदेशसिविल सेवा परीक्षा में एससी/एसटी उम्मीदवारों को असीमित अवसर देने के खिलाफ याचिका खारिज

सिविल सेवा परीक्षा में एससी/एसटी उम्मीदवारों को असीमित अवसर देने के खिलाफ याचिका खारिज

Text Size:

मुंबई, 12 फरवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने सिविल सेवा परीक्षा के एक दिव्यांग अभ्यर्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) संविधान द्वारा तय की गई एक अलग श्रेणी है और इसके लिए निर्धारित आरक्षण मानदंड को मनमाना नहीं कहा जा सकता है।

उच्च न्यायालय ने 38 वर्षीय मुंबई निवासी धर्मेंद्र कुमार द्वारा दायर उस याचिका को चार फरवरी को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी के उम्मीदवारों को असीमित संख्या में प्रयासों की अनुमति देने वाले सिविल सेवा परीक्षा नियमों को चुनौती दी थी।

कुमार नौ बार सिविल सेवा परीक्षा में असफल रहे हैं। नियमों के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के ‘बेंचमार्क दिव्यांगता’ वाले उम्मीदवारों को परीक्षा में नौ अवसर देने की अनुमति है, जबकि इस तरह के सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को केवल छह प्रयास करने की अनुमति है।

लेकिन ओबीसी वर्ग के कुमार ने अपनी याचिका में दावा किया था कि ये नियम पक्षपातपूर्ण हैं।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की खंडपीठ ने चार फरवरी को अपने फैसले में (जिसकी एक प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई) याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चुनौती देने का कोई वैध आधार नहीं है।

अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति ओबीसी से अलग वर्ग है और इसलिए उनके लिए अलग मानदंड निर्धारित किए गए हैं और ऐसे मानदंडों को मनमाना नहीं कहा जा सकता।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ दिव्यांग श्रेणी का यदि कोई उम्मीदवार एससी/एसटी वर्ग से संबंधित है, तो वह किसी अन्य श्रेणी से संबंधित उम्मीदवार की तुलना में अलग पायदान पर खड़ा होगा।’’

याचिकाकर्ता की दलील थी कि दिव्यांग व्यक्तियों के वर्ग को एक अलग श्रेणी के रूप में माना जाना चाहिए भले ही वह एससी/एसटी या ओबीसी हों, और उन्हें समान अवसर मिलने चाहिए जितने कि एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवार को मिलते हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

भाषा

संतोष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments