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Friday, 18 October, 2024
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‘उपभोक्तावाद’ के खिलाफ लोग मेरे उपवास से जुड़ें : वांगचुक

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नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने बुधवार को लोगों से आह्वान किया कि वे उनके साथ एक दिन का उपवास करें और उपभोक्तावाद को छोड़ने का संकल्प लें।

वांगचुक का अनशन शुक्रवार को 13वें दिन में प्रवेश कर गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके समर्थकों को उनसे मिलने के लिए लद्दाख भवन में आने नहीं दिया जा रहा है।

रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार विजेता वांगचुक ने लोगों से रविवार के उपवास में शामिल होने की अपील की है।

वांगचुक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमारे अनशन का आज 13वां दिन है, हम थोड़े थके हुए हैं, लेकिन हम स्वस्थ हैं। कई लोग हमसे मिलने आ रहे हैं। वे कहते हैं कि हम आपका समर्थन करने आए हैं, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हमारे समर्थन में या लद्दाख का समर्थन करने के लिए मत आइए, यहां अपने भविष्य का समर्थन करने आइए।’’

उन्होंने कहा,‘‘भविष्य में आपके बच्चे जो पानी पीएंगे, जिस हवा में सांस लेंगे और जो भोजन खाएंगे, उसके लिए यहां आएं। लद्दाख केवल लद्दाख के लोगों का नहीं है, यह पूरे देश का है।’’

जलवायु कार्यकर्ता ने कहा कि उनसे मिलने लद्दाख भवन आने वालों को रोका जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद है। हम सड़क से 20-30 फुट दूर एक पार्क में हैं। यहां भी लोगों को मौन व्रत के लिए आने की अनुमति नहीं दी जा रही है। मैं लोगों से फिर भी आने का आग्रह करूंगा, क्योंकि यह एक स्वतंत्र देश है।’’

वांगचुक ने लोगों से आग्रह किया कि वे उपवास के दिन संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करने से बचें।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ भोजन छोड़ने भर का उपवास नहीं होना चाहिए। हम यहां पर्यावरण के लिए लड़ रहे हैं, इसलिए यह एक विशेष उपवास होना चाहिए, जिसमें उपभोक्तावाद को त्याग दिया जाए, जिसका मतलब है कि बिजली, पानी का कम उपयोग किया जाए। कारों और मशीनों जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाले उपकरणों का उपयोग कम किया जाए।’’

लद्दाख के लगभग 25 लोग अपनी मांगों पर चर्चा के लिए देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक की मांग को लेकर छह अक्टूबर से ही दिल्ली में स्थित लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं।

लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर वांगचुक ने अपने समर्थकों के साथ लेह से दिल्ली तक मार्च किया। उन्हें 30 सितंबर को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया और दो अक्टूबर की रात उन्हें रिहा कर दिया।

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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