(अनिल भट्ट)
गरखल (जम्मू-कश्मीर), नौ मई (भाषा) जम्मू को निशाना बनाकर दागे गए पाकिस्तानी ‘कामिकेज’ ड्रोन और मिसाइलों को रोकने के लिए सशस्त्र बलों के जवानों ने अपने उपकरणों के साथ पूरी सतर्कता बरती। सेना की इस तत्परता की लोगों ने व्यापक सराहना की।
भारत ने बृहस्पतिवार रात जम्मू और पठानकोट समेत अन्य सैन्य स्थलों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने के पाकिस्तान के प्रयासों को विफल कर दिया।
इससे पहले, दोनों पड़ोसियों के बीच सैन्य संघर्ष के बीच देश के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में 15 स्थानों पर इसी तरह के प्रयासों को विफल कर दिया गया था।
नौवीं कोर की कमान के तहत जम्मू के परिचालन क्षेत्र का जिम्मा संभालने वाली 26 इन्फैंट्री डिवीजन, जिसे ‘टाइगर डिवीजन’ उपनाम दिया गया है, ने मजबूत वायु-रक्षा प्रणाली स्थापित की थी। यह जम्मू को पाकिस्तान द्वारा हमास-शैली के हमले से बचाने के लिए वस्तुतः इजराइली प्रकार का ‘आयरन डोम’ बना रही थी।
एक अधिकारी ने कहा कि यह जवानों और मशीनों का सततर्कतापूर्वक किया गया संयोजन था जिसने इतने बड़े पाकिस्तानी हमले को विफल कर दिया।
रात के अंधेरे में पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध के बाद जम्मू पर अपना सबसे दुस्साहसिक हमला किया, शहर को तबाह करने के लिए सौ से ज्यादा ‘कामिकेज’ ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह बेजोड़ सटीकता, साहस और लचीलेपन का प्रदर्शन था।
गरखल निवासी सिकंदर सिंह ने कहा, ‘‘हम अपने सशस्त्र बलों के आभारी हैं जिन्होंने जम्मू को पाकिस्तान के एक बड़े हमले से बचा लिया। हम उनके काम के लिए उनकी सराहना करते हैं। हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसे बमों को हवा में बेअसर किया जा सकता है।’’
सिंह के परिवार के साथ 500 से अधिक ग्रामीण जम्मू के बाहरी इलाके में मिश्रीवाला में सरकार द्वारा स्थापित सुरक्षित शिविरों में चले गए हैं। सिंह ने कहा कि यदि बमों को रोका नहीं जाता तो वे बड़े पैमाने पर मौतें और विनाश का कारण बन सकते थे।
दुनिया की सबसे बेहतरीन वायु रक्षा प्रणालियों में से एक के साथ सेना ने आश्चर्यजनक सटीकता के साथ हवाई हमले को नाकाम कर दिया और दुश्मन के लगभग हर प्रहार को हवा में ही नष्ट कर दिया गया। एक भी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान को नुकसान नहीं पहुंचा और ना ही किसी नागरिक की जान गई।
एक सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान की ओर से सतवारी, सांबा, आरएस पुरा और अरनिया पर आठ मिसाइलें दागी गईं। सभी को वायु रक्षा इकाइयों ने रोक दिया। जम्मू के दृश्य इजराइल पर हमास शैली के हमले की याद दिलाते हैं, जैसे कि कई सस्ते रॉकेट दागे गए हों।’’
सिंह की तरह पास के परगवाल गांव के युवा सुरिंदर कुमार ने भी सेना की नयी वायु-रक्षा सुरक्षा प्रणाली के लिए उसकी प्रशंसा की, जिसने पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोन को बेअसर कर दिया।
स्नातक छात्र कुमार ने कहा, ‘‘हम पाकिस्तान के हमले को लेकर भयभीत थे। लेकिन रक्षा प्रणाली ने हमारे डर को दूर कर दिया। हमें अपनी सेना पर गर्व है। हम अपनी मातृभूमि की रक्षा में अपनी सेना के साथ खड़े हैं।’’
सतह से हवा में मार करने वाली रूसी और इजराइली मिसाइलों और स्वदेशी आकाश मिसाइल की दोहरी तकनीकी सुरक्षा ढांचे वाली बहु-स्तरीय वायु-रक्षा प्रणाली ऐसे हमलों के खिलाफ निर्णायक साबित हुआ।
जम्मू और कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपी वैद ने पाकिस्तानी हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सशस्त्र बलों और उनकी तकनीकी सुरक्षा प्रणालियों की सराहना की।
एक व्यवसायी अरविंद कौल ने कहा, ‘‘यह हमला व्यापक था। 1971 के युद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सैन्य संघर्ष हुआ। सेना ने हवाई बमों को बेअसर करने के लिए रक्षक की भूमिका निभाई, जबकि सरकार ने भी सायरन और ‘ब्लैकआउट’ के साथ पूरी तरह से सहयोग किया।’’
उन्होंने कहा कि यह जम्मू की 15 लाख से अधिक की आबादी के लिए एक बड़ी राहत है। ‘‘हम देख चुके हैं कि इजराइली ‘आयरन डोम’ कैसे मिसाइलों को बेअसर करता है। लेकिन पहली बार, हमें गर्व है कि हमारी बहादुर सेना ने जम्मू को बचाने के लिए इस तरह का काम किया।’’
भाषा संतोष अविनाश
अविनाश
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