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बुधवार, 7 मई, 2025
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कश्मीर में सीमावर्ती इलाकों के लोगों ने चिंता में बिताई रात

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श्रीनगर, सात मई (भाषा) पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचे पर भारतीय सशस्त्र बलों के मिसाइल हमलों के बाद नियंत्रण रेखा के पार से बंदूकों की गड़गड़ाहट के बीच कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों ने चिंता में रात बिताई।

नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले लोगों के लिए यह एक लंबी रात थी, क्योंकि भारत द्वारा पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत मिसाइल हमले किए जाने के बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया।

अधिकारियों ने कहा कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा और बारामूला जिलों के क्रमश: करनाह और उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारी गोलाबारी की खबर है।

अधिकारियों ने कहा कि बाड़ के इस तरफ से भी सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की और अंतिम खबर प्राप्त होने तक दोनों पक्षों के बीच सीमापार से गोलाबारी जारी थी।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण लोगों को भूमिगत बंकरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां उन्होंने तनाव में पूरी रात बिताई।

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच जम्मू कश्मीर में सीमा पर बिना उकसावे के गोलाबारी की यह लगातार 13वीं रात थी।

अधिकारियों ने बताया कि उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की ओर से भारी गोलाबारी किए जाने के बाद तीन बच्चों समेत कम से कम 10 नागरिक घायल हो गए और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं।

उरी के स्थानीय निवासी आतिफ अहमद ने कहा कि गोलाबारी तेज होने के कारण निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर भागना पड़ा।

अहमद ने कहा, ‘‘भारी गोलेबारी के कारण रातभर हमारी नींद टूटती रही। हमने बहुत लंबे समय के बाद इतनी भीषण गोलाबारी देखी।’’

अधिकारियों ने बताया कि कुपवाड़ा जिले के करनाह में निवासियों को गोलाबारी से बचने के लिए भूमिगत बंकरों में शरण लेनी पड़ी।

उन्होंने बताया कि नियंत्रण रेखा के पार से भारी गोलाबारी के कारण कुछ घरों और अन्य इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा, जबकि कुछ में आग लग गई।

स्थानीय निवासी नसीर अहमद ने कहा, ‘‘हमने बहुत लंबी रात बिताई। ऐसा लग रहा था कि रात कभी खत्म ही नहीं होगी। जब भी हम भारी गोलेबारी की तेज आवाज सुनते थे, तो हमारा दिल बैठ जाता था। हमें भारी गोलेबारी के बीच अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा और शरण लेनी पड़ी।’’

मिसाइल हमलों की खबर आने के बाद श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के अन्य इलाकों में लोगों ने रात बेचैनी में बिताई।

भाषा वैभव सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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