scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमदेश‘12 साल पहले इसी गांव में बाबा के सत्संग में ऐसा ही हादसा हुआ और लोग मारे गए’ — हाथरस के निवासी

‘12 साल पहले इसी गांव में बाबा के सत्संग में ऐसा ही हादसा हुआ और लोग मारे गए’ — हाथरस के निवासी

फुलरई के कुछ निवासियों ने यह भी दावा किया कि सरकार भगदड़ में मरने वालों की संख्या कम बता रही है, जो 300 से भी अधिक हो सकती है, क्योंकि कुछ शवों को गांव वाले सीधे अपने घर ले गए थे. हालांकि, एसडीएम ने इससे इनकार किया है.

Text Size:

हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के फुलरई के निवासियों ने दिप्रिंट को बताया कि 12 साल पहले भी इसी स्वयंभू बाबा द्वारा उनके गांव में आयोजित सत्संग में भगदड़ मची थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी.

मंगल यादव, जो 40 साल से अधिक समय से फुलरई में रह रहे हैं, जहां उनकी एक कपड़े की दुकान है, ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को मंगलवार के सत्संग में शामिल होने से मना किया था.

उन्होंने दावा किया, “12 साल पहले भी बाबा का ऐसा ही एक कार्यक्रम हुआ था, जिसमें भगदड़ मच गई थी और कुछ लोगों की मौत भी हो गई थी. वह सत्संग मौजूदा स्थान (जहां मंगलवार का सत्संग हुआ) से एक किलोमीटर दूर आयोजित किया गया था.”

फुलरई के एक अन्य निवासी ने भी यादव के दावों को दोहराया.

नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने कहा, “पहले यह सड़क छोटी थी. तब हाईवे नहीं था. उस समय इस बाबा के बारे में कम लोग जानते थे और प्रचार भी उतना नहीं था. भीड़ भी कम थी. अगर ज्यादा लोग होते तो तब भी बड़ी घटना हो सकती थी.”

बुधवार को भगदड़ वाली जगह पर मौजूद अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन मृतकों की संख्या कम बता रहा है. उनका मानना ​​है कि वास्तविक संख्या लगभग 300 है, क्योंकि कुछ शवों को स्थानीय अस्पतालों के बजाय परिवार सीधे अपने घर ले गए थे और मृतकों में बाबा के कुछ सेवक भी शामिल थे.

नाम न बताने की शर्त पर एक ग्रामीण ने दिप्रिंट को बताया, “पुलिस प्रशासन खुद को बचाने के लिए कम संख्या बता रहा है. कई लोग शवों को लेकर घर चले गए हैं.”
सिकंदराऊ के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अंकुर वर्मा ने कहा कि उन्होंने ही इस आयोजन की अनुमति दी थी और सत्संग में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे राज्यों से लोग शामिल हुए थे. उन्होंने मृतकों की संख्या अधिक होने के दावों से इनकार किया.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “यह सच नहीं है. इसमें शामिल होने वाले ज़्यादातर लोग इलाके से बाहर के थे. स्थानीय लोग कम थे.”

12 साल पहले भी ऐसी ही घटना होने के दावों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और उनके पास इसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं है.


यह भी पढ़ें: हाथरस अस्पताल में रोते-बिलखते परिवार, बर्फ पर पड़े शव, भगदड़ में बचे लोगों ने याद किया ‘भयानक मंज़र’


प्रत्यक्षदर्शियों ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि भगदड़ तब शुरू हुई जब उपस्थित लोग स्वयंभू उपदेशक नारायण साकर हरि, जिन्हें ‘भोले बाबा’ के नाम से जाना जाता है, के दर्शन के लिए झुंड बनाकर उनके पीछे चलने लगे, क्योंकि वे दोपहर 2 बजे के आसपास सत्संग स्थल से समय से पहले ही निकल गए थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि उपदेशक के सेवादारों ने उपस्थित लोगों को लाठियों से पीटा, जब उन्होंने वीडियो बनाने की कोशिश की और उनके फोन जब्त कर लिए गए.

राजकुमार, जो भगदड़ के समय कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे, ने कहा कि घटनास्थल पर कुछ ही पुलिस अधिकारी थे, जबकि बाबा के लगभग 2,000 सेवादार सत्संग का प्रबंधन कर रहे थे. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “घटना के बाद, जब लोग फंसे हुए लोगों की मदद करने लगे, तो अन्य लोगों ने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया. सेवादारों ने उनके फोन जब्त कर लिए और उन्हें बंद कर दिया. उन्होंने पीड़ितों के जूते एकत्र किए और उन्हें खेतों में फेंक दिया.”

फुलरई निवासी गौरव यादव ने बताया कि भोले बाबा के सेवादार एक महीने से इस कार्यक्रम का प्रचार कर रहे थे और कह रहे थे कि यह चार घंटे तक चलेगा, लेकिन बाबा जल्दी ही सत्संग छोड़कर चले गए.

उन्होंने पूछा, “बाबा अपने भक्तों से क्यों नहीं मिल पाए? वे भाग क्यों गए? पुलिस ने उन्हें क्यों नहीं पकड़ा?”


यह भी पढ़ें: हाथरस में कैसे मची भगदड़ — बाबा के चरणों की धूल लेने की होड़, सेवकों ने लाठियों से भीड़ को रोका


‘भगवान विष्णु का अवतार होने का दावा करते हैं’

सत्संग स्थल कानपुर-अलीगढ़ राजमार्ग के करीब स्थित है, जिसके एक तरफ बड़ा खुला मैदान है और दूसरी तरफ खेत हैं. चश्मदीदों ने बताया कि कार्यक्रम स्थल से निकलने के बाद, भगवान राजमार्ग की ओर बढ़े और उपस्थित लोग उनकी ओर दौड़ पड़े. इस प्रक्रिया में राजमार्ग पर खड़े लोगों को खेत में धकेल दिया गया, जो राजमार्ग से चार फीट नीचे है.

फुलरई निवासी यादव, जिनका पहले उल्लेख किया गया था, ने कहा कि भोले बाबा के पास अपने स्वयं के सुरक्षाकर्मी थे, जो काले कपड़े पहने हुए थे. उन्होंने कहा कि भगवान खुद को हिंदू भगवान विष्णु का अवतार बताते थे और उनके पास अधिक महिला अनुयायी थीं क्योंकि वे घरेलू मुद्दों को सुलझाने का दावा करते थे. महिलाएं घरेलू विवादों और शराब पीने की आदत में पतियों की मदद के लिए उनके पास जाती थीं.

ग्रामीणों ने बताया कि जाटव समुदाय के लोग भगवान के मुख्य भक्त हैं. सत्संग स्थल पर भीड़ लगभग 5 किलोमीटर तक फैली हुई थी.

बुधवार सुबह फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम सबूत इकट्ठा करने के लिए डॉग स्क्वायड के साथ घटनास्थल पर पहुंची. टीम ने भगदड़ वाली जगह पर मिले जूते, चप्पल, कपड़े और मोबाइल फोन के करीब 10 बैग एकत्र किए. वह घटना के असल कारण की भी जांच करेंगे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बुधवार दोपहर घटनास्थल पर पहुंचे. बाद में उन्होंने न्यायिक जांच की घोषणा की और कहा कि सरकार ऐसे आयोजनों के आयोजन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया लागू कर सकती है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: हाथरस घटना : ‘फर्जी’ बाबाओं के प्रभाव को रोकने के लिए कांग्रेस ने की कानून बनाने की मांग


 

share & View comments