नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि ई-कॉमर्स मंच अमेजन और फ्लिपकार्ट की उन याचिकाओं को कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाना चाहिए, जिनमें कथित कदाचार के लिए उनके खिलाफ जांच के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने सीसीआई की ओर से दायर उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें ई-कॉमर्स मंचों की अर्जी को उच्च न्यायालयों से शीर्ष अदालत या दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने कहा, ‘नोटिस जारी करें। प्रथम दृष्टया, हमारा विचार है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित सभी मामलों को सुनवाई के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।’
पीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए छह जनवरी 2025 की तारीख निर्धारित की।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से ई-कॉमर्स कंपनियों की याचिकाओं पर सुनवाई आगे नहीं बढ़ाने को कहा।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि अगर कर्नाटक उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई करता है, तो सीसीआई को कोई आपत्ति नहीं है।
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में सीसीआई ने इलाहाबाद, मद्रास, तेलंगाना, पंजाब एवं हरियाणा, दिल्ली और कर्नाटक के उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित मामलों को या तो उच्चतम न्यायालय या दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
सीसीआई ने पसंदीदा विक्रेताओं को भारी छूट और उनके साथ गठजोड़ सहित अन्य कथित कदाचार के लिए फ्लिपकार्ट और अमेजन के खिलाफ जांच का आदेश दिया था।
उसने दिल्ली व्यापार महासंघ की शिकायत के बाद यह कदम उठाया था, जिसके सदस्यों में स्मार्टफोन और उससे संबंधित सामान का कारोबार करने वाले कई व्यापारी शामिल हैं।
अमेजन और फ्लिपकार्ट ने जांच के आदेश को चुनौती देते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।
भाषा
पारुल धीरज
धीरज
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