नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) भारत ने शुक्रवार को चीन से स्पष्ट रूप से कहा कि पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष बिन्दुओं से पीछे हटने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति ‘असामान्य’ होगी तब द्विपक्षीय संबंध ‘सामान्य’ नहीं हो सकते ।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ करीब तीन घंटे ‘खुले एवं स्पष्ट’ रूप से बातचीत के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सामान्य संबंधों की बहाली के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं अमन बहाल होना जरूरी है।
जयशंकर ने भारत की यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ लगभग तीन घंटे तक हुई चर्चा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘ अगर हम दोनों हमारे संबंधों को बेहतर बनाने को प्रतिबद्ध हैं तब इस प्रतिबद्धता की पूरी अभिव्यक्ति पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में जारी बातचीत में परिलक्षित होनी चाहिए । ’’
उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख को लेकर भारत और चीन के बीच वर्तमान स्थिति के संबंध में ‘कार्य प्रगति पर है’ हालांकि इसकी गति वांछित स्तर की तुलना में धीमी है।
उन्होंने कहा कि सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती किए जाने के मद्देनजर भारत और चीन के संबंध ‘सामान्य’ नहीं हैं और सामान्य संबंधों को फिर से बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाये जाने की आवश्यकता होगी ।
वांग काबुल से बृहस्पतिवार को अघोषित यात्रा पर दिल्ली पहुंचे । यह पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद पिछले करीब दो वर्षो में किसी चीनी नेता की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है।
वांग और जयशंकर ने इस बात को रेखांकित किया कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर वरिष्ठ सैन्य कमांडर के स्तर पर 15 दौर की वार्ता हो चुकी है और इसमें पीछे हटने के संबंध में संघर्ष के कई क्षेत्रों को लेकर प्रगति दर्ज की गई है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ इसे आगे बढ़ाये जाने की जरूरत है क्योंकि पीछे हटने की प्रक्रिया का पूर्ण होना इस पर बातचीत के लिये जरूरी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं वर्तमान स्थिति के लिए कहूंगा कि ‘कार्य प्रगति पर है’ (वर्क इन प्रोग्रेस) । स्वाभाविक तौर पर यह वांछित स्तर से धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।’’ उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री के साथ उनकी बातचीत इस प्रक्रिया को गति देने पर केंद्रित थी ।
जयशंकर ने कहा कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ लगभग तीन घंटे तक खुले रूप से वास्तविक एजेंडे पर स्पष्ट और व्यापक तरीके से बात हुई । उन्होंने कहा ‘‘ हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जो अप्रैल 2020 से चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप प्रभावित हुए हैं।’
विदेश मंत्री ने कहा ‘‘हमने चीन के विदेश मंत्री को देश की भावना से अवगत करा दिया कि अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाल होना सामान्य रिश्ते के लिए जरुरी है।’’
जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है, स्पष्ट रूप से सीमा क्षेत्रों में स्थिति सामान्य नहीं है तथा वहां शांति एवं स्थिरता प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा कि सामान्य संबंधों को फिर से बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाये जाने की आवश्यकता होगी । उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टता से बातचीत हुई ।
एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने स्थापित नियमों एवं समझौतों के विपरीत सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी का उल्लेख किया ।
जयशंकर ने कहा ‘‘ अगर आप पूछेंगे कि स्थिति सामान्य है, तब मेरा जवाब होगा कि ‘नहीं, यह सामान्य नहीं है। ’’ उन्होंने कहा कि जब तक इतने बड़े पैमाने पर सीमा पर तैनाती रहेगी, सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होगी ।
उन्होंने कहा, ‘‘ विदेश मंत्री वांग ने सामान्य स्थिति (संबंधों में) बहाल होने की चीन की इच्छा जाहिर की और हमारे संबंधों के व्यापक महत्व का उल्लेख किया । मैंने भी कहा कि भारत स्थिर और अपेक्षित संबंध चाहता है लेकिन सामान्य स्थिति की बहाली के लिये स्वभाविक तौर पर शांति एवं अमन बहाल होना जरूरी है। ’’
जयशंकर ने कहा कि सैन्य एवं कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का सकारात्मक परिणाम सामने आया है लेकिन क्षेत्र में स्थिति सामान्य नहीं है।
विदेश मंत्री ने कहा ‘‘अभी भी हमारे संघर्ष के क्षेत्र हैं, हमने कुछ ऐसे ही क्षेत्रों में समाधान निकालने में प्रगति की है और आज हमारी बातचीत इसे आगे ले जाने को लेकर हुई।’’
जयशंकर ने शुक्रवार को चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच पूर्वी लद्दाख विवाद और यूक्रेन संकट से पैदा हुई भू-राजनीतिक उथल-पुथल समेत विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।
वांग बृहस्पतिवार की शाम काबुल से दिल्ली पहुंचे थे।
उल्लेखनीय है कि 11 मार्च को भारत और चीन के बीच 15वें दौर की उच्च सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी ताकि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से जुड़े लंबित मामलों का समाधान निकाला जा सके। हालांकि, इस बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई थी ।
सितंबर 2020 में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर मास्को में जयशंकर एवं वांग के बीच बातचीत हुई थी ।
भाषा दीपक दीपक उमा
उमा
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