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Saturday, 16 November, 2024
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पाकिस्तान की सीमा पर शांति से J&K के घराना वेटलैंड को मिला बढ़ावा, प्रवासी पक्षियों की 15 नई प्रजातियां दिखीं

वर्ल्ड वेटलैंड्स डे के अवसर पर एक नजर डालते हैं इस खबर पर कि भारत और पाकिस्तान द्वारा पिछले साल अपने युद्धविराम को दुबारा बढ़ाये जाने से जम्मू-कश्मीर के घराना वेटलैंड को किस हद तक फायदा हुआ है.

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घराना: हर साल की शुरुआत में इस पूरे क्षेत्र के बर्ड वाचर्स (पक्षियों को देखने की चाह रखने वाले दर्शक) जम्मू-कश्मीर के आर.एस. पुरा – जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ स्थित है और जम्मू शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है – की गलियों की भूलभुलैया को पार करते हुए घराना वेटलैंड, जिसका नाम उस गांव के नाम पर है जहां यह स्थित है, तक पहुंचते हैं.

यह दलदली आर्द्रभूमि (वेटलैंड), जिसके कुछ हिस्से पाकिस्तान में भी हैं, बड़ी संख्या में उन प्रवासी पक्षियों की मेजबानी करते हैं जो मध्य एशिया, साइबेरिया और दुनिया के अन्य दूर-दराज के हिस्सों से यहां तक की उड़ान भरते हैं. हालांकि ये पक्षी हर साल इकट्ठा होते हैं, फिर भी इस बार यहां देखी गई प्रजातियों की संख्या 25 की सामान्य संख्या से बढ़कर लगभग 40 हो गई है.

वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार इसका एक मुख्य कारण भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर छायी शांति है.

वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि फरवरी 2021 से इन दोनों देशों के बीच 2003 के संघर्ष विराम समझौते को फिर से लागू किये जाने की वजह से सीमा पर दोनों तरफ से होने वाली गोलीबारी के बंद हो जाने ने इस वेटलैंड (आर्द्रभूमि) को प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श आश्रय स्थल बना दिया है.

एक ओर जहां बार-हेडेड गूज, नॉर्दर्न पिंटेल, नॉर्दर्न शॉवेलर, ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट और ग्रे हेरॉन इस वेटलैंड में सामान्य रूप से आने वाले आगंतुक पक्षी हैं, वहीँ घराना वेटलैंड में इस बार देखी गई नई प्रजातियों में व्हाइट-ब्रेस्टेड आइबिस, पाइड किंगफिशर और यूरेशियन विजियन शामिल हैं. ऊनी गर्दन वाले सारस (वूल्ल्य-नेक्ड स्टोर्क), जिन्हें घराना में बहुत कम देखा जाता है, इस बार बड़ी संख्या में इस वेटलैंड में आये हैं.

एक काले पंखों वाला स्टिल्ट वेटलैंड में देखा गया | ताहिर शॉल

जम्मू-कश्मीर के मुख्य वन्यजीव वार्डन सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा कि सीमा पर छायी शांति ने निस्संदेह रूप से इन पक्षियों के लिए यहां के पर्यावरण को अधिक अनुकूल बना दिया है.उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘विभाग द्वारा आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर इस क्षेत्र को अशांति मुक्त बनाने का भी प्रयास किया गया है.’

घराना में प्रवास क्यों करते हैं ये पक्षी?

वेटलैंड या आर्द्रभूमि ऐसे क्षेत्र हैं जहां प्राकृतिक या कृत्रिम कारणों से मिट्टी में स्थायी रूप से या पानी की मात्रा अधिक बनी होती है, जिसके परिणामस्वरूप वे जलीय और स्थलीय प्रजातियों के लिए एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सहायता कर सकते हैं. विदित हो कि बुधवार (2 फरवरी) को वर्ल्ड वेटलैंड्स डे (विश्व आर्द्रभूमि दिवस) के रूप में मनाया जाता है.

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना के प्राणी विज्ञान विभाग में कार्यरत पक्षी विज्ञानी डॉ मनोज कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘वेटलैंड्स में आने वाले प्रवासी पक्षी ज्यादातर जलीय पक्षी होते हैं और अपने मूल निवास क्षेत्रों में व्यापत कठोर परिस्थितियों के कारण प्रवास करते हैं. कई प्रजातियां भोजन की तलाश में इन तुलनात्मक रूप से गर्म क्षेत्रों में प्रवास करती हैं, जबकि कुछ अन्य प्रजनन के उद्देश्य से यहां आती हैं.’

वन्यजीव विभाग के अनुसार, घराना वेटलैंड हर सर्दियों के मौसम में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 25,000 पक्षियों की मेजबानी करता है, जिनमें से अधिकांश प्रवासी पक्षी होते हैं. इस बार यहां आए पक्षियों की संख्या का सही-सही अनुमान लगाने के लिए अभी जनगणना का काम चल रहा है.

वेटलैंड में देखा गया सारस | ताहिर शॉल[/कैप्शन]
ये प्रवासी पक्षी अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर के पहले सप्ताह के बीच घराना पहुंचने लगते हैं. दिसंबर और जनवरी में इस क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या में पक्षियों का जुटान होता है, और वे फरवरी के अंत और मार्च के पहले सप्ताह के बीच अपनी मूल निवास वाली भूमि की ओर लौटना शुरू कर देते हैं.

वर्तमान में चल रही जनगणना के शुरुआती अनुमानों के अनुसार, इस बार घराना और आसपास के क्षेत्रों में लगभग 5,000 बार-हेडेड गीज़ देखे गए हैं. वन्यजीव अधिकारियों ने बताया कि बार-हेडेड गीज़ गर्मियों में प्रजनन के लिए लद्दाख के इलाके में भी चले जाते हैं.

जलीय वनस्पतियों और कीड़ों के अलावा, घराना में आने वाले प्रवासी पक्षी आसपास के खेतों में लगी फसलों को भी खा जाते हैं, जो कभी-कभी स्थानीय किसानों और वन्यजीव विभाग के बीच विवाद की वजह भी बन जाता है. इस तरह की परिस्थिति से बचने के लिए वन्यजीव विभाग इन पक्षियों के भोजन के रूप में वेटलैंड्स में मछलियों को भी छोड़ता है.

जम्मू-कश्मीर राज्य वन अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशक और पूर्व वन्यजीव वार्डन ताहिर शॉल ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये पक्षी खुले मैदानों में भी दाना चुगते हैं, विशेष रूप से गेहूं की अंकुरित बालियों को जो उनके घराना पहुंचने के समय मौजूद होते हैं. इससे किसानों और वन्यजीव विभाग के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है. किसानों को शांत करने का हमेशा प्रयास किया जाता है.’

उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब कई सारी बारूदी सुरंगे (लैंड माइंस) घराना वेटलैंड के करीब स्थित थे, लेकिन अभी की शांति ने इन पक्षियों के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर दी हैं.

घराना गांव में, अपने-अपने घरों के बाहर बैठे बुजुर्गों के एक समूह ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें भी लगता है कि इस बार इस वेटलैंड में अधिक संख्या में पक्षी उड़ कर आये हैं.

वेटलैंड के पास के एक गांव के निवासियों ने कहा कि एक समय था जब वे सीमा से लगे गांवो में गोलीबारी के दौरान छतों पर गोले गिरते देखते थे | चितवन विनायक[/कैप्शन]
70 वर्षीय किसान जीत राज ने कहा कि 2021 का वर्ष दशकों के बाद पहला ऐसा साल था जब सीमा पार से कोई गोलीबारी नहीं हुई. उन्होंने कहा, ‘हमने सीमा से लगे गांवों में छतों पर गोलों को गिरते देखा है. गोलीबारी ने इन पक्षियों को हमेशा परेशान किया, जिससे वे उड़ गए थे.’

बर्ड फ्लू का डर

इस बीच, घराना वेटलैंड, जहां पिछले साल भी कई प्रवासी पक्षियों के पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट आये थे, में बर्ड फ्लू का डर बढ़ रहा है. वन्यजीव अधिकारियों की कई टीमें इन पक्षियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं. घराना वेटलैंड में वन्यजीव विभाग के ब्लॉक अधिकारी सिंपल सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि इन टीमों ने बर्ड फ्लू की जांच के लिए नमूने एकत्र किए हैं. सिंह ने कहा, ‘पिछले साल भी यहां बर्ड फ्लू के कई मामले सामने आए थे, जिसके चलते इस बार उच्च अधिकारी कोई चांस नहीं ले रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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