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मंगलवार, 6 मई, 2025
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पायल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ 40 साल में कान्स के आधिकारिक चयन में पहली भारतीय फिल्म

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नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) भारतीय फिल्म निर्माता पायल कपाड़िया की फिल्म ‘‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’’ को बृहस्पतिवार को कान्स फिल्म महोत्सव के प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘पाम डि’ओर’ (गोल्डन पाम अवार्ड) की प्रतिस्पर्धा में शामिल होने का मौका मिला है, जो चार दशक से अधिक समय में इस श्रेणी में पहुंचने वाली पहली फिल्म होगी।

इस सेक्शन में दिखाई जाने वाली पिछली भारतीय फिल्म 1983 की मृणाल सेन की ‘खारिज’ थी।

कान्स फिल्म महोत्सव के अध्यक्ष आइरिस नॉब्लोच और जनरल डेलिगेट थिएरी फ्रेमॉक्स ने फ्रांस के कान्स में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में चयनित फिल्मों की आधिकारिक घोषणा की।

कपाड़िया के अलावा, ब्रिटिश-भारतीय फिल्म निर्माता संध्या सूरी की ‘संतोष’ को भी फिल्म समारोह के 77वें संस्करण में प्रदर्शित किया जाएगा। इस फिल्म को ‘अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन’ के तहत प्रदर्शित किया जाएगा।

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) की पूर्व छात्रा कपाड़िया को उनकी प्रशंसित वृत्तचित्र ‘ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ के लिए जाना जाता है, जिसका प्रीमियर 2021 कान्स फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर्स फोर्टनाइट साइड-बार में हुआ था। उस समारोह में इस वृत्तचित्र को ‘गोल्डन आई’ पुरस्कार मिला था।

कपाड़िया द्वारा लिखित ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ उनके कथात्मक फीचर करियर की शुरुआत का प्रतीक है।

यह फिल्म एक नर्स प्रभा के बारे में है, जिसे लंबे समय से अलग रह रहे अपने पति से एक अप्रत्याशित उपहार मिलता है, जिससे उसका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।

लेखक-गीतकार वरुण ग्रोवर और फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने इस चयन पर कपाड़िया को बधाई दी।

ग्रोवर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारतीय सिनेमा के लिए बहुत बड़ा क्षण। एक भारतीय फिल्म के लिए कान्स की मुख्य प्रतियोगिता में भाग लेना इतना दुर्लभ क्षण है कि यह एक पीढ़ी के जीवन में केवल एक बार ही होता है। पायल कपाड़िया और उनकी टीम आगे बढ़ें!’ ग्रोवर ने हाल ही में पहली फिल्म ‘ऑल इंडिया रैंक’ निर्देशित की है।

कान्स में नियमित रूप से उपस्थित रहने वाले कश्यप ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज पर संबंधित घोषणा का एक स्क्रीनशॉट साझा किया और लिखा, ‘‘कान्स फिल्म महोत्सव में भारतीय फिल्म… पायल कपाड़िया को बधाई!’

प्रतिष्ठित ‘पाल्मे डि’ओर’ पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली आखिरी भारतीय फिल्म 1983 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मृणाल सेन की ‘खारिज’ थी। इससे पहले, एम.एस. सथ्यू की ‘गर्म हवा’ (1974), सत्यजीत रे की ‘पराश पत्थर’ (1958), राज कपूर की ‘आवारा’ (1953), वी शांताराम की ‘अमर भूपाली’ (1952) और चेतन आनंद की ‘नीचा नगर’ (1946) जैसी फिल्में कान्स प्रतियोगिता खंड के लिए चुनी गयी थीं।

‘नीचा नगर’ 1946 में कान्स में शीर्ष सम्मान जीतने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म है। उस समय, इस पुरस्कार को ‘ग्रैंड प्रिक्स डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म’ के नाम से जाना जाता था।

फिल्म समारोह 14 मई से 25 मई तक चलेगा।

भाषा सुरेश माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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