नई दिल्ली: यमुनानगर में अवैध खनन कार्यों को अंजाम देने वाले एक सिंडिकेट का हिस्सा रही एक कंपनी में पत्नी और बेटे के जरिए 32 फीसदी हिस्सेदारी नियंत्रित करने, अनुमति दी गई सीमा से अधिक खनन क्षेत्रों से उत्पन्न टर्नओवर को “छिपाने” और सीधे तौर पर 26 करोड़ रुपये की अपराध की आय प्राप्त करने के आरोपों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को हरियाणा के सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार को गिरफ्तार कर लिया.
संघीय जांच एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि पंवार और उनकी पत्नी के पास डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में 9-9 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसके पास 2016 से नौ साल के लिए खनन लाइसेंस था, लेकिन विधायक ने 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान हलफनामे में ये विवरण देने के बावजूद पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को गुमराह किया.
शनिवार को अंबाला में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत एक विशेष अदालत ने पंवार को ईडी की नौ दिन की हिरासत में भेज दिया.
पंवार पिछले विधानसभा चुनाव से पहले इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे और पहली बार विधायक बने हैं.
ईडी ने इस साल जनवरी में यमुनानगर और अन्य शहरों में तलाशी अभियान के दौरान उनकी संपत्तियों पर छापे मारे थे और निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व आईएनएलडी विधायक दिलबाग सिंह और उनके सहयोगी को गिरफ्तार किया था.
‘खनन सिंडिकेट में हिस्सेदारी’
आरोप है कि पंवार और उनके परिवार द्वारा नियंत्रित डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया ने यमुनानगर के पोबारी गांव में 23.05 हेक्टेयर भूमि से नौ साल के लिए रेत निकालने का लाइसेंस अगस्त 2016 में प्राप्त किया था.
कंपनी ने उस साल दिसंबर में प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन अवैध खनन और उत्पन्न राजस्व को “छिपाने” के आरोप में इसे 2022 में समाप्त कर दिया गया.
दिप्रिंट ने अंबाला में विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष पेश किए गए रिमांड आवेदन की एक प्रति देखी है, जिसमें एजेंसी ने आगे आरोप लगाया है कि डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया ने 2016 और 2022 के बीच अनुमति दी गई सीमा से बाहर खनन किया.
इसके अलावा, ईडी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने छह वर्षों में 52.26 लाख मीट्रिक टन रेत खनन की सूचना दी, जबकि एक स्वतंत्र तकनीकी क्षेत्र विशेषज्ञ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में उस अवधि के दौरान यमुनानगर में 77.36 लाख मीट्रिक टन रेत की खुदाई का पता चला.
ईडी ने आगे कहा कि इस अतिरिक्त और “अवैध” उत्खनन से 2016 और 2018 के बीच लगभग 10.63 करोड़ रुपये का कुल अतिरिक्त कारोबार हुआ. यह कारोबार डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया और हरियाणा में अवैध रेत खनन सिंडिकेट का हिस्सा अन्य फर्मों द्वारा आयकर विभाग द्वारा 2018 में छापेमारी के बाद उनके द्वारा दायर संशोधित आयकर रिटर्न में दर्ज किया गया था.
केंद्रीय एजेंसी के अनुसार, डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया सहित अवैध खनन में शामिल चार कंपनियों ने 2016 और 2018 के बीच दो वित्तीय वर्षों में लगभग 92 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कारोबार किया.
मामले में पंवार की “प्रत्यक्ष” भूमिका के बारे में बताते हुए, ईडी ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और बेटे दोनों ने पीएमएलए की धारा 50 के तहत बयान दर्ज किए, जिसमें उन्होंने कहा कि कंपनी और उनके बैंक खातों पर पंवार का नियंत्रण था.
ईडी की रिमांड अर्जी में कहा गया है, “इसके अलावा, बयानों के दौरान, सुरेन्द्र पंवार की पत्नी और बेटे, जो मेसर्स डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में शेयरधारक भी हैं, ने कहा कि वह परिवार के सदस्यों के लिए व्यापारिक लेन-देन भी देखता है और परिवार के अन्य सदस्यों के व्यापारिक मामलों को भी नियंत्रित करता है, और अवैध खनन से उत्पन्न अपराध की आय का प्रत्यक्ष लाभार्थी है.” इसमें कहा गया है, “यह स्पष्ट रूप से स्थापित है कि सुरेन्द्र पंवार मेसर्स डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अवैध खनन गतिविधियों में शामिल था.”
इसमें कहा गया है, “यह स्पष्ट रूप से स्थापित है कि सुरेन्द्र पंवार मेसर्स डेवलपमेंट स्ट्रैटेजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अवैध खनन गतिविधियों में शामिल थे.”
ईडी ने खुलासा किया कि सिंडिकेट का डेटा/खाता जीएम कंपनी के नाम पर बनाए रखा गया था, ताकि सिंडिकेट का हिस्सा बनने वाली सभी संस्थाओं/फर्मों की बिक्री का लेखा-जोखा रखा जा सके और सदस्यों के बीच उत्पन्न नकदी के लाभ को साझा करने की सुविधा भी मिल सके.
ईडी ने आवेदन में कहा, “जी.एम. कंपनी के खातों की पुस्तकों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि पंवार जी और एस. पंवार (डब्ल्यू) के नाम से सुरेंद्र पंवार अपराध की आय के लाभार्थियों में से एक है.” इसने आरोप लगाया कि खनन सिंडिकेट की कुछ फर्मों के बैंक खाते के विवरण और जी.एम. कंपनी के खातों में “एस. पंवार (डब्ल्यू)” से पता चला है कि विधायक और उनके परिवार ने इन खनन कंपनियों/फर्मों के साथ लेन-देन किया था.
आवेदन में आगे लिखा है, “हालांकि, सुरेंद्र पंवार से पूछताछ करने पर, उन्होंने पीएमएलए, 2002 की धारा 50 के तहत अपने बयान के दौरान कहा है कि उन्होंने इन सभी कंपनी/फर्म को बिना ब्याज के ऋण दिया था और वही उन्हें वापस मिल गया था. सुरेंद्र पंवार ने आगे कहा कि उनके पास कोई लोन एग्रीमेंट नहीं था और न ही इन ऋणों के लिए कोई ब्याज लिया गया था.”
ईडी ने दावा किया कि यह स्पष्ट है कि पंवार यमुनानगर के खनन सिंडिकेट के शेयरधारकों में से एक था, और उसने अपराध के जरिए आय प्राप्त की जो कि उनके पास है.
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