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Thursday, 28 March, 2024
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संसदीय समिति ने कहा—जागरूकता अभियान चलाएं ताकि दर्शक डिजिटल मीडिया नियमों को जानें, उचित विकल्प चुन सकें

नए नियमों के तहत ऑनलाइन मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए टेलीविजन और प्रिंट मीडिया के लिए लागू मौजूदा आचार संहिता का पालन करना अनिवार्य है. संबंधित संसदीय समिति चाहती है कि इस पर अमल हो.

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नई दिल्ली: एक संसदीय समिति ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कहा है कि इंटरमीडियरीज, ओटीटी और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म को लेकर अपने नए नियमों के बारे में जागरूकता अभियान चलाए ताकि दर्शक अच्छी तरह समझ-बूझकर फैसला कर सकें कि वे कैसा कंटेट चाहते हैं, और साथ ही फेक न्यूज की समस्या से निपटना सुनिश्चित हो सके.

सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी संसदीय समिति ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि जागरूकता अभियान चलाने से लोगों को एक निश्चित समयसीमा में अपनी शिकायतों का समाधान हासिल करने में मदद मिलेगी और बच्चों और युवाओं को ‘आपत्तिजनक सामग्री’ देखने-सुनने से बचाया जा सकेगा.

समिति ने कहा कि वह मंत्रालय के साथ नियमों पर चर्चा के लिए तैयार है और उम्मीद करती है कि मंत्रालय ‘एक मजबूत निगरानी तंत्र कायम करने’ के साथ ‘रचनात्मकता को बढ़ावा देने और अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा को पूरी अहमियत देते’ हुए नए नियमों को लागू करेगा.

नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले महीने ही नियमों को अधिसूचित किया, जिसके तहत ऑनलाइन मीडिया के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफार्म के लिए भी टेलीविजन और प्रिंट मीडिया के लिए लागू कंटेंट संबंधी मौजूदा आचार संहिता का पालन करना और किसी भी तरह का उल्लंघन रोकने के लिए शिकायत निवारण तंत्र बनाना अनिवार्य है.

इसके बाद, इन नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सवाल उठा दिए गए, जिसने कहा कि ये दिशा-निर्देश ऑनलाइन कोई भी ‘आपत्तिजनक सामग्री’ प्रसारित न होना सुनिश्चित करने में निष्प्रभावी हैं.

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दूसरी तरफ, न्यूज पोर्टल भी इन नियमों को चुनौती दे चुके हैं, जिसमें कहा गया कि ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के ‘ऑब्जेक्ट और स्कोप’ से परे हैं.

संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मंत्रालय का कहना है कि यह व्यवस्था न्यूनतम सरकारी दखल के सिद्धांत को ध्यान में रखकर की गई है, लेकिन इन प्लेटफार्म को एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना चाहिए.

इसके मुताबिक मंत्रालय को यह भी लगता है कि नए नियम ‘चैंपियन’ ऑडियो-विजुअल सर्विस सेक्टर में ग्रोथ को प्रोत्साहित करेंगे, लोगों को सामग्री के बारे में समझकर विकल्प चुनने का अधिकार होगा, उनकी शिकायतों को निश्चित समयसीमा में दूर किया जा सकेगा, बच्चों को बचाया जा सकेगा और प्रकाशकों की जवाबदेही तय करने वाले तंत्र के जरिये डिजिटल मीडिया पर फेक न्यूज की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी.


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सबसे ज्यादा जोर—फेक न्यूज की समस्या से निपटना

सूचना एवं मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान इसका सबसे ज्यादा जोर फेक न्यूज से निपटने के लिए ‘फैक्ट चेक यूनिट’ को मजबूत बनाने और उनका विस्तार करने पर है.

यह इकाई दिसंबर 2019 में सरकार की संचार शाखा प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के तहत गठित की गई थी. तब से अब तक पीआईबी के क्षेत्रीय कार्यालयों में ऐसी 17 इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं.

मंत्रालय ने पैनल को सूचित किया कि फरवरी तक 9,103 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 8,263 पर प्रतिक्रिया या जवाब दिया गया और 323 फेक न्यूज का खुलासा किया गया.

मंत्रालय ने बताया कि 26 अप्रैल 2020 और 18 फरवरी 2021 के बीच इन इकाइयों को व्हाट्सएप/ई-मेल पर 49,625 सवाल मिले और इनमें से कार्रवाई योग्य 16,992 मामलों का जवाब दिया गया है. साथ ही जोड़ा कि इस अवधि में पीआईबी ने 505 मामलों को निपटाया.

समिति ने मंत्रालय से केंद्रीय और क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर व्यापक तंत्र के साथ इन इकाइयों को मजबूत करने और क्षेत्रीय भाषाओं के संदर्भ में बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए उपयुक्त कदम उठाने को भी कहा.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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