नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) प्रस्तावित नये आपराधिक कानून में बड़े वित्तीय घोटाले, पोंजी योजनाएं, साइबर अपराध, वाहन चोरी, जमीन हड़पना और सुपारी लेकर हत्या करना संगठित अपराध के दायरे में आएंगे और अगर ऐसे अपराधों में किसी व्यक्ति की मौत होती है तो दोषी को मौत या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
समिति ने कहा कि यह मूल कानून में ‘एक बहुत ही प्रभावी जोड़’ होगा।
भाजपा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने महसूस किया कि मौजूदा कानून संगठित अपहरण, जमीन हथियाने, सुपारी लेकर हत्या, जबरन वसूली के साथ-साथ कई बड़े वित्तीय घोटालों और मानव तस्करी जैसे कई गंभीर अपराधों से निपटने के लिए अपर्याप्त हैं।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के खंड नौ के अनुसार, अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पने, सुपारी लेकर हत्या, आर्थिक अपराध, गंभीर परिणाम वाले साइबर अपराध, मानव , ड्रग्स, अवैध वस्तुओं या सेवाओं और हथियारों की तस्करी तथा वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव तस्करी रैकेट सहित गैरकानूनी गतिविधि संगठित अपराध माने जाएंगे।
इसमें यह भी कहा गया है कि आर्थिक अपराधों में विश्वास का आपराधिक उल्लंघन शामिल है जैसे जालसाजी, मुद्रा और मूल्यवान प्रतिभूतियों की जालसाजी, वित्तीय घोटाले, पोंजी योजनाएं चलाना, बड़े पैमाने पर विपणन धोखाधड़ी या किसी भी रूप में बड़े पैमाने पर संगठित सट्टेबाजी, धन शोधन और हवाला लेनदेन के अपराधों के लिए धोखा देना।
वर्तमान कानून में, आपराधिक साजिश की सजा आजीवन कारावास या दो साल या उससे अधिक की अवधि के लिए कठोर कारावास है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसए-2023) विधेयक को 11 अगस्त को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस-2023) और भारतीय सक्षम अधिनियम (बीएसए-2023) विधेयकों के साथ पेश किया गया था।
तीन प्रस्तावित कानून दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम, 1898, भारतीय दंड संहिता, 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को प्रतिस्थापित करेंगे।
संसदीय समिति की रिपोर्ट शुक्रवार को राज्यसभा को सौंपी गई।
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