नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) संसद की एक स्थायी समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उद्यमों (सीपीएसई) में नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की कम संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए आधी आबादी की उन्नति के रास्ते की बाधाओं को दूर करने के लिए ठोस उपायों के कार्यान्वयन का सुझाव दिया है।
समिति का यह रुख सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) के कामकाज की समीक्षा करते समय आया। यह बोर्ड सीपीएसई के लिए एक ठोस प्रबंधकीय नीति विकसित करने और प्रबंधन के शीर्ष पदों पर नियुक्तियों के संबंध में सरकार को सलाह देने के उद्देश्य से स्थापित एक उच्चाधिकार प्राप्त निकाय है।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से संबंधित अनुदानों की मांगों (2025-26) पर, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय विभाग संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने 27 मार्च को संसद में अपनी 145वीं रिपोर्ट पेश की।
रिपोर्ट में समिति ने सीपीएसई के भीतर शीर्ष प्रबंधकीय पदों पर महत्वपूर्ण लैंगिक अंतर को लेकर अपनी चिंता दोहराई। रिपोर्ट के अनुसार, सीपीएसई में महिलाएं केवल सात प्रतिशत हैं और बोर्ड स्तर पर भी यह आंकड़ा महज सात प्रतिशत का ही है।
समिति ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की ‘नारी शक्ति’ नीति के अनुरूप, समावेशी और जवाबदेह लोक प्रशासन के लिए लैंगिक समानता महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट में समिति ने यह सिफारिश की है कि कार्मिक प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी होने के नाते डीओपीटी को नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व के कारणों की गहन जांच करनी चाहिए और उनकी उन्नति के रास्ते के अवरोधकों को दूर करने के लिए ठोस उपाय लागू करना चाहिए।
भाषा मनीषा सुरेश
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