नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि एक “घबराई” हुई सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र की मांग के बीच “हड़बड़ी” में संसद के मानसून सत्र की तारीखों की घोषणा की है। उन्होंने केंद्र के इस कदम की देश के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा 1962 के युद्ध के बाद इसी तरह के अनुरोध को मान लेने से तुलना की।
उन्होंने कहा कि 1962 में जवाहरलाल नेहरू ने अटल बिहारी वाजपेयी (जो उस समय पहली बार राज्यसभा सदस्य बने थे) की मांग पर संसद का सत्र बुलाया था।
अपने ब्लॉग पर लिखे एक लेख में, राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता ओ’ब्रायन ने कहा कि 17 राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
विपक्षी सांसदों ने कहा कि वे 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले, भारत की जवाबी कार्रवाई – ऑपरेशन सिंदूर, गोलाबारी के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों की मौत और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के दावे पर चर्चा करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “ऐसा करने के कुछ ही घंटों के भीतर, घबराई सरकार ने 21 जुलाई से शुरू होने वाले नियमित मानसून सत्र की तारीखों की जल्दबाजी में घोषणा कर दी, जिससे विशेष सत्र की मांग को एक तरह से खारिज कर दिया गया।”
उन्होंने कहा, “आम तौर पर संसद सत्र की घोषणा करने का समय (घोषणा और आरंभ के बीच दिनों की संख्या) लगभग 20 दिन या उससे कम होती है। आगामी मानसून सत्र की घोषणा 47 दिन पहले ही कर दी गई है!”
उन्होंने कहा, “दूसरी तरह से कहें तो सरकार को ‘संसद भीरू’ कहा जा सकता है-एक ऐसी स्थिति जहां वह (सरकार) संसद का सामना करने से डरती हो।”
भाषा प्रशांत पवनेश
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