देहरादून, 29 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड में देहरादून जिले में यमुना और टोंस नदी के बीच स्थित जौनसार अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के दो गांवों की पंचायत ने निर्णय लिया है कि महिलाएं अब केवल तीन आभूषण पहनकर ही विवाह समारोहों में शामिल होगी ताकि समाज में दिखावे की प्रवृत्ति के साथ ही घरेलू कलह पर भी अंकुश लगाया जा सके ।
कंधाड़ और इंदरानी गांवों की संयुक्त पंचायत ने ज्यादा आभूषण पहनकर शादी समारोहों में शामिल होने की होड़ से सामाजिक असमानता को बढ़ावा मिलने के द्रष्टिगत यह निर्णय लिया है ।
निर्णय के अनुसार, अब महिलाएं शादी में केवल नाक में लौंग, कानों में बुंदे तथा गले में मंगलसूत्र पहनकर ही शामिल होंगी और यह फैसला न मानने वालों पर पचास हजार रु का जुर्माना लगाया जाएगा ।
कंधाड़ गांव के स्याणा (सबसे प्रमुख व्यक्ति) अर्जुन सिंह ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, “सोने के महंगा होने के कारण कई महिलाएं दूसरों को देखकर सोना ख़रीदने का दबाव बनाती हैं। इससे परिवार में झगड़े और आर्थिक तनाव जैसी स्थितियाँ पैदा होती हैं। हमारा उद्देश्य यह असमानता कम करना है।”
पंचायत के इस फैसले का महिलाओं ने भी स्वागत किया है लेकिन उन्होंने समानता को लेकर कई सवाल भी उठाए हैं ।
जौनसार की निवासी अमला चौहान ने कहा, “अगर समानता लानी है तो सिर्फ़ महिलाओं के आभूषणों पर ही रोक क्यों? पुरुषों द्वारा होने वाली ब्रांडेड शराबखोरी पर भी रोक लगनी चाहिए । सोना निवेश है, मुश्किल समय में काम आता है। शराब और अन्य फ़िज़ूलखर्ची का क्या उपयोग है?”
इसी तरह, निशा रावत ने भी विवाह आयोजनों में बढ़ते खर्च पर चिंता जताई और कहा, ‘पहले शादियों में घर की बनी कच्ची शराब दी जाती थी, लेकिन अब ब्रांडेड शराब और महंगे उपहारों का दिखावा बढ़ गया है। यदि खर्च कम करने की बात है तो शराब और मांस पर भी प्रतिबंध लगे।”
अनेक पुरुषों ने भी महिलाओं से इत्तेफाक जताया और कहा कि उनकी मांग सही है । एक निवासी भीम सिंह चौहान ने कहा, “आभूषणों पर रोक स्वागतयोग्य है, लेकिन महिलाओं की शराब और अन्य खर्चों को कम करने वाली मांग भी सही है। पंचायत को इस पर भी विचार करना चाहिए।”
महिलाओं के सवालों पर अर्जुन सिंह ने आश्वासन दिया कि पंचायत इस विषय पर जल्द विचार करेगी। उन्होंने कहा, “महिलाओं की मांग जायज़ है । शराब और अन्य खर्चों पर भी रोक लगाने पर विचार किया जाएगा। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।”
अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा प्राप्त जौनसार में पंचायतों की खास भूमिका है । कई मामलों में पंचायत का फ़ैसला आज भी अंतिम माना जाता है और स्थानीय लोग इसका पूरी गंभीरता से पालन करते हैं।
भाषा दीप्ति रंजन
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