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Friday, 20 December, 2024
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पंचायत विकास सूचकांक से भारत में सतत विकास की ओर बड़ा कदम: बिहार एक मिसाल

यह प्रयास न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन रहा है, जहां पंचायतों के विकास और सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में एक नई दिशा मिल रही है.

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नई दिल्ली: भारत वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस दिशा में पंचायती राज मंत्रालय ने 17 सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण हेतु 9 प्रमुख थीमों के तहत एक पंचायत विकास सूचकांक (PDI) का विकास किया है. यह सूचकांक पंचायतों के विकास, प्रदर्शन और प्रगति की दशा को मापने के लिए उपयोग किया जा रहा है और इसे देशभर में लागू किया जा रहा है.

भारत सरकार ने पंचायत विकास सूचकांक (PDI) के माध्यम से 144 स्थानीय लक्ष्यों और 688 डेटा बिंदुओं की पहचान की है, जो पंचायतों में स्थानीय समुदायों के कल्याण और विकास की स्थिरता का आकलन करते हैं. यह सूचकांक देशभर में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.

बिहार में पंचायत विकास सूचकांक का कार्यान्वयन

बिहार राज्य में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) के सफल कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तर पर 2, जिला स्तर पर 2, अनुमंडल स्तर पर 1 और प्रखंड स्तर पर 1 समिति का गठन किया गया है. इसके साथ ही डेटा संग्रहण और सत्यापन के लिए कुल 18 विभागों की मदद ली गई है.

राज्य स्तर पर कुल 485 स्थानीय संकेतकों और 514 डेटा बिंदुओं को संकलित किया गया है. इनमें से 134 डेटा बिंदुओं का डेटा एपीआई (API) के माध्यम से विभिन्न विभागों के प्रमाणित पोर्टल से प्राप्त किया गया है.

डेटा संग्रहण और सत्यापन प्रक्रिया

विभागवार 20 डेटा संग्रहण प्रारूपों में ग्राम पंचायत स्तर का डेटा विभिन्न पंचायतों और प्रखंड स्तरीय कार्यालयों से प्राप्त कर उन्हें ग्राम सभा से अनुमोदित कराने के बाद PDI प्लेटफार्म पर अपलोड किया जाता है. इसके बाद विभागों के प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी द्वारा डेटा का सत्यापन किया जाता है. फिर ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर सत्यापन के बाद डेटा को पंचायत राज मंत्रालय को अग्रसारित किया जाता है.

पंचायतों की रैंकिंग

प्राप्त डेटा के आधार पर पंचायतों की थीमवार और समेकित स्कोर जारी किया जाता है। प्राप्त स्कोर के आधार पर पंचायतों की रैंकिंग की जाती है. वर्ष 2022-23 में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) के पटल पर दर्ज किए गए डेटा और स्व-स्वीकृत स्तर (OSR) के द्वारा अविश्रांत आय के आधार पर पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार में बिहार की तीन ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं.

यह प्रयास न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन रहा है, जहां पंचायतों के विकास और सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में एक नई दिशा मिल रही है.


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