लाहौर: इस्लामाबाद और नई दिल्ली के बीच तनाव के बावजूद गुरु नानक की 550वीं जयंती को लेकर करतारपुर स्थित दरबार साहिब आने वाले भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए पाकिस्तान के दरवाजे खुले रहेंगे. यह जानकारी सूचना और प्रसारण मामले की प्रधानमंत्री की विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने दी.
रेडियो पाक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां शनिवार को एक प्रेस कान्फ्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने इन अफवाहों का खंडन किया कि जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने की नई दिल्ली के फैसले पर भारत के साथ तनाव के बाद पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर पर काम रोक दिया है.
उन्होंने कहा कि इस साल नवंबर में भारत के साथ टर्म्स ऑफ रेफरेंस (टीओआर) के अनुसार ही कोरिडॉर को अंतिम रूप देकर इसका उद्घाटन किया जाएगा. फिरदौस ने कहा कि सिखों के लिए ननकाना साहिब और पाकिस्तान के अन्य शहर वैसे ही पवित्र हैं, जैसे मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना है.
द उर्दू प्वॉइंट न्यूज पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री इमरान खान ने ही 72 साल के बाद सिखों द्वारा गुरु नानक की तीर्थ यात्रा करने के लिए करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से सीमा को खोलने का फैसला किया था. यहां आने वाले लोग इससे पहले सीमा पार से इस पवित्र स्थल को दूरबीन की मदद से देखते थे.
अवान का यह बयान तब आया है, जब पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत के साथ चल रहे तनाव के बावजूद, इस्लामाबाद नवंबर से सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रस्तावित कॉरिडोर सिखों को वीजा के बिना ही सीमा से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मस्थल का दौरा करने की अनुमति देगा.
पिछले महीने ही सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की 550 वीं जयंती समारोह पर ननकाना साहिब जाने के लिए पाकिस्तान द्वारा 500 से अधिक भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के विशेष जत्थे को वीजा दिया गया था. ज्ञात हो कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक ने अपने अंतिम दिन यहीं बिताए थे.
पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरुद्वारा, भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर और लाहौर से लगभग 120 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है. गुरु नानक 1539 में 18 साल अपने अंतिम सांस लेने तक वहीं थे.