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Saturday, 21 December, 2024
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पाकिस्तानी अधिकारियों को भारतीय सुरक्षा दस्तावेजों की जासूसी करने के आरोप में पकड़ा गया

पाकिस्तान के अधिकारी आबिद हुसैन और मुहम्मद ताहिर उच्चायोग के वीज़ा अनुभाग में काम करते थे, उनके पास से फर्जी आधार कार्ड मिलें हैं.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान उच्चायोग के दो अधिकारियों को जासूसी के आरोप में पकड़ा गया है और अब उन्हें भारत से निष्कासित किया जा रहा है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है कि दोनों अधिकारी भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान से संबंधित शीर्ष सुरक्षा दस्तावेज प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे.

विदेश मंत्रालय के सूत्र के अनुसार, आबिद हुसैन और मुहम्मद ताहिर, जो कि उच्चायोग के वीज़ा अनुभाग में तैनात थे उन्हें रविवार को पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा था जब वे एक भारतीय से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के दस्तावेज प्राप्त कर रहे थे और उसे बदले में पैसे और एक आईफोन दे रहे थे.

पाकिस्तानी अधिकारियों ने शुरू में दावा किया था कि वे भारतीय नागरिक थे और यहां तक ​​कि उनके पास आधार कार्ड भी थे. सूत्रों ने कहा कि उन्होंने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वे पाकिस्तान उच्चायोग में अधिकारी थे और देश की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लिए काम करते थे.

हुसैन और ताहिर दोनों के सोमवार तक भारत छोड़ने की उम्मीद है. वे क्रमशः 2019 और 2016 में भारत आए थे.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, शेखपुरा के हुसैन (42) और इस्लामाबाद के ताहिर (44) को एक संयुक्त अभियान के दौरान पकड़ा गया, जिसमें मिलिट्री इंटेलिजेंस भी शामिल था.

सूत्रों ने कहा कि पुलिस द्वारा प्रारंभिक हिरासत के बाद, उन्हें विदेश मंत्रालय को सौंप दिया गया.

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी जासूसी के आरोप में पकड़े गए हैं. 2018 में, यहां उच्चायोग में तैनात एक कर्मचारी को भारत छोड़ने के लिए कहा गया क्योंकि वह संवेदनशील रक्षा दस्तावेजों के साथ पकड़ा गया था.

इसी तरह, 2016 में एक और पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारी को रक्षा दस्तावेजों और सीमाओं के क्षेत्रों के नक्शे को संग्रह करने के मामले में देश छोड़ने के लिए कहा गया था. इसमें तीन भारतीय नागरिक भी शामिल थे.

रविवार को विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान के उपराजदूत को कार्यवाही करने के लिए कहा गया था, जिसमें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ पाकिस्तान के उच्चायोग के इन अधिकारियों की गतिविधियों के संबंध में ‘विरोध दर्ज किया गया था’.

पाकिस्तान का कहना है कि आरोप ‘गलत और असंबद्ध’

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में, इस्लामाबाद ने कहा कि हुसैन और ताहिर के खिलाफ लगाए गए आरोप ‘झूठे और निराधार’ थे.

बयान में कहा गया, ‘पाकिस्तान आधारहीन भारतीय आरोपों को खारिज करता है और भारतीय कार्रवाई को रद्द करता है, जो कूटनीतिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के स्पष्ट उल्लंघन के साथ-साथ विशेष रूप से पहले से ही माहौल में राजनयिक संबंधो के मानदंडों का उल्लंघन है.’

पाकिस्तान ने कहा कि जब दोनों कर्मचारियों को रिलीज़ कर दिया गया, वह ‘हिरासत और यातना के साथ-साथ राजनयिक अधिकारियों पर झूठे आरोप स्वीकार करने के लिए धमकी देने और दबाव डालने’ की निंदा करता है.

इस्लामाबाद ने भारतीय मीडिया को भी दोषी ठहराया और उस पर ‘लगातार पाकिस्तान विरोधी प्रचार’ का हिस्सा होने का आरोप लगाया.

‘नई दिल्ली में पाकिस्तान के लिए उच्चायोग ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनयिक मानदंडों के मापदंडों के भीतर काम किया है. भारतीय कार्रवाई का उद्देश्य स्पष्ट रूप से पाकिस्तान उच्चायोग के कामकाज के लिए राजनयिक स्थान को कम करना है.

नई दिल्ली द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने के बाद से ही भारत-पाकिस्तान के राजनयिक संबंध सबसे निचले स्तर पर हैं, जिसके द्वारा अपनी पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के विशेष स्थिति को ख़त्म कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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