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Friday, 22 November, 2024
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भारत देगा 426 पाकिस्तानी हिंदुओं को गंगा में ‘अस्थि विसर्जन’ की अनुमति? फैसले की हो रही सराहना

मोदी सरकार कथित तौर पर पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने की अनुमति देने के लिए लघु वीजा देने पर विचार करेगी. हालांकि विदेश मंत्रालय ने न तो इसकी पुष्टि की है और न ही खंडन किया है.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान के हिंदू समर्थक समूहों और विशेषज्ञों ने भारत सरकार के वीजा देने वाले कथित फैसले का स्वागत किया है, जिससे 426 मृत पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थियां गंगा में विसर्जित की जा सकेंगी.

पाकिस्तान के एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने संकेत दिया है कि इन परिवारों को 10 दिन का छोटा वीजा दिया जायेगा.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि यदि यह नीति लागू हुई तो यह भारत सरकार के मौजूदा नियम से अलग होगी क्योंकि सरकार पाकिस्तानी हिंदुओं को अस्थि विसर्जन के लिए भारत आने की इजाजत तभी देती है, यदि उनका कोई रिश्तेदार या भारत में कोई हो.

दिप्रिंट द्वारा पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय (MEA) के सूत्रों ने बताया कि, इस फैसले की न तो पुष्टि की गयी और न ही खंडन किया गया. उन्होंने कहा कि केस-दर-केस के आधार पर वीजा पर फैसला किया जाता है. अस्थि विसर्जन के लिए जारी किए गए वीजा की संख्या के बारे में अभी कोई जानकारी साझा नहीं की है.

लेकिन पाकिस्तान में हिंदू समर्थक समूहों और विशेषज्ञों ने इस निर्णय को ‘महत्वपूर्ण’ बताया है.

ऑल पाकिस्तान हिंदू पंचायत के महासचिव रवि दवानी ने दिप्रिंट को बताया कि ‘सभी हिंदू-पाकिस्तानी इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं. जिनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित होने के लिए वर्षों से पाकिस्तान के श्मशान घाटों पर प्रतीक्षा कर रही हैं, अब उन्हें शांति और मुक्ति मिलेगी.’

हालांकि मोदी सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पाकिस्तानी पत्रकार मारियाना बाबर ने ट्वीट किया कि ‘भारतीय प्रधानमंत्री ने 30 दिसंबर को अपनी मां हीराबेन की मृत्यु से पहले नई नीति को मंजूरी दे दी थी.’

दिप्रिंट से बात करते हुए बाबर ने कहा कि ‘इस फैसले से भारत और पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा.’

बाबर ने दिप्रिंट से कहा, ‘दोनों देशों के संबंधों को सुधारने के लिए यह फैसला तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही इससे मरे हुए लोगों को भी सम्मान मिलेगा. दोनों देशों के संबंधों को सुधारने के लिए इस तरह का फैसला एक अच्छी शुरुआत है. लेकिन मृत मुसलमानों को वापस लाकर (पाकिस्तान) दफनाने के लिए अभी तक कोई अनुरोध नहीं किया गया है.


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अस्थियों को दफनाया भी गया

पाकिस्तान के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (एनएडीआरए) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में 22 लाख से अधिक हिंदू रहते हैं जो पाकिस्तान की आबादी का लगभग 1.18 प्रतिशत. इसमें से अधिकांश, 95 प्रतिशत सिंध में रहते हैं.

पाकिस्तान के पत्रकार मुर्तजा सोलंगी ने कहा कि ‘विसर्जन की प्रतीक्षा कर रही ज्यादार अस्थियां सिंध से ही हैं.

सोलंगी ने दिप्रिंट को बताया आगे बताया कि ‘भारत में गुजरात की सीमा से लगे क्षेत्र सिंध के दक्षिण-पूर्व सिरे के उमरकोट क्षेत्र में अभी भी ज्यादातर आबादी हिन्दुओं की ही है. यहां के अधिकांश लोग धतकी बोलते हैं जो मारवाड़ी और गुजराती भाषा का एक प्रकार है.

इससे पहले भी 2019 के पुलवामा हमले ने भारत और पाकिस्तान के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था. पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए अंतिम संस्कार के लिए वीजा प्राप्त करना कभी भी आसान काम नहीं था, खासकर स्पॉन्सरशिप के मामले में.

वास्तव में, संख्या बता रही है कि 2011 से 2016 तक, अटारी-वाघा जॉइंट चेक पोस्ट (JCP) के माध्यम से केवल 295 पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थियां भारत लाईं गयी थीं.

अरब न्यूज़ ने 2019 में बताया था कि एक हिंदू परिवार, जिसने तीन पीढ़ियों की अस्थियां जमा कर रखी थी, उनको आखिरकार 2011 में अस्थि विसर्जन के लिए वीजा मिला था.

इनका मामला कोई एक अनूठा मामला नहीं है. दवानी के अनुसार, पूरे पाकिस्तान में हिंदू मृतकों की अस्थियों को श्मशान घाटों में इस उम्मीद में रखा जाता है कि उन्हें किसी दिन गंगा में विसर्जित कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘लोगों ने अस्थियों को दफनाने का सहारा भी लिया क्योंकि उन्हें भारत में विसर्जन के लिए वीजा नहीं मिला था.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद/संपादन: अलमिना खातून)


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