नई दिल्ली: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारी सुभान अली का गमजदा परिवार पिछले आठ महीनों से उनके साथ हादसे के मामले में निर्णायक रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है जिसकी कार पिछले साल 22 जून को एक दुर्घटना का शिकार हुई और जोजिला-कारगिल-लेह रोड के पास तेज वेग से बहती द्रास नदी में जा गिरी.
उनके साथ मौजूद ड्राइवर पलविंदर का शव तो दो हफ्ते बाद दुर्घटनास्थल से करीब 25 किलोमीटर दूर भारतीय इलाके में बरामद कर लिया गया था लेकिन बीआरओ अधिकारी का कुछ अता-पता नहीं चल पाया.
कुछ दिन बाद, पाकिस्तानी अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों को सूचित किया कि पाकिस्तान ने 27 जून 2020 को नियंत्रण रेखा के पास शिंगो नदी में एक अज्ञात शव बरामद किया है.
सैन्य मुख्यालय के हस्तक्षेप के बाद पाकिस्तान ने इस अज्ञात शव के डीएनए सैंपल भेज दिए.
शव के सैंपल के साथ-साथ सुभान अली के माता-पिता के नमूनों को भी चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजा गया.
यह सब पिछले साल अगस्त और अक्टूबर के बीच हुआ. अब फरवरी आ चुकी है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि लैब में नमूनों की जांच के लिए लंबी कतार होने के कारण इसकी पुष्टि करने में तीन से छह महीने और लग सकते हैं.
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राजनाथ का पत्र
राजनाथ सिंह ने यह जानकारी बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली को भेजे गए 11 फरवरी की तिथि वाले एक पत्र में दी है. यूपी के अमरोहा से सांसद दानिश अली ने इस मामले में दिलचस्पी दिखाते हुए रक्षा मंत्री से यह पता लगवाने को कहा था कि सुभान अली का शव आखिर कहां गायब हो गया.
रक्षा मंत्रालय की तरफ से की गई जांच के मुताबिक, 22 जून को मटियान से आते समय सुभान अली और पलविंदर की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई है. गहरी खाई में पलटने के बाद उनकी कार लुढ़कते हुए जोजिला-कारगिल-लेह मार्ग के पास तेज वेग से बहती द्रास नदी में जा गिरी.
पुलिस, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल और बसीज-ए-इमाम नामक स्थानीय समूह की राहत एवं बचाव टीमों ने सुभान अली और पलविंदर का पता लगाने की कोशिशें की लेकिन दो हफ्ते की अथक मेहनत के बाद दुर्घटनास्थल से 25 किलोमीटर की दूरी पर सिर्फ पलविंदर का शव बरामद किया जा सका.
दिप्रिंट के पास मौजूद रक्षा मंत्री के इस पत्र में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान ने 27 जून 2020 को एलओसी के करीब शिंगो नदी से एक अज्ञात शव बरामद किया है लेकिन यह पता नहीं लगाया जा सका कि यह शव बीआरओ अधिकारी अली का ही था.
राजनाथ सिंह के पत्र के मुताबिक, ‘सेना मुख्यालय ने शव की पहचान सुनिश्चित करने के लिए डीएनए नमूने हासिल करने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों से संपर्क किया. 22 अगस्त को कारगिल पुलिस ने तंगधार में डीएनए के नमूने हासिल किए और माता-पिता के डीएनए नमूने 28 अक्टूबर 2020 को लिए गए.’
पत्र में बताया गया है कि डीएनए के नमूनों को मिलान के लिए सीएफएसएल चंडीगढ़ भेजा गया है लेकिन ‘यह बात सामने आई है कि वहां पर डीएनए की मैचिंग एनालिसिस… लंबी कतार में है और रिपोर्ट मिलने में 3 से 6 महीने का समय लग सकता है.’
पत्र में यह भी बताया गया है कि प्रयोगशाला से रिपोर्ट मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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देरी निराशाजनक
दानिश अली ने शव की पहचान की पुष्टि में होने वाली देरी को ‘निराशाजनक’ बताया. यह स्पष्ट करते हुए कि मामले में उन्होंने निजी तौर पर रुचि क्यों ली, उन्होंने कहा कि वह यूपी के एक दर्जी के बेटे सुभान से काफी प्रभावित थे, जिसने गरीबी से लड़कर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में शिक्षा हासिल की थी.
उन्होंने बताया, ‘सुभान जामिया का एक बहुत ही होनहार छात्र था. दुखद है कि हमने उसे खो दिया और अब उसके परिजन आखिरी बार शव भी न देख पाने को लेकर परेशान हो रहे हैं.’
दानिश अली ने बताया कि 27 जुलाई को निर्धारित शादी से ठीक एक महीने पहले सुभान कारगिल और लेह में क्वारेंटाइन सेंटरों की निगरानी का जिम्मा संभाल रहा था.
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