नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कसम खाई कि उनका देश ऑपरेशन सिंदूर में “हर जान के नुकसान का बदला लेगा.”
बुधवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए शरीफ ने घोषणा की कि पाकिस्तान और उसकी सेना ने एक बार फिर “पारंपरिक युद्ध में दुश्मन पर अपनी श्रेष्ठता” का प्रदर्शन किया है. उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय सेना को इतना भारी नुकसान पहुंचाया है कि इसका असर हमेशा के लिए रह जाएगा.
उन्होंने कहा, “ये ऐसे घाव हैं जिन्हें समय भी नहीं भर पाएगा.” शरीफ के संबोधन के बाद एक अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने हताहतों की आधिकारिक संख्या की पुष्टि करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में 31 नागरिक और 57 अन्य घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना एलओसी पर गोलीबारी का “उसी तरह से जवाब दे रही है.” उन्होंने आगे कहा, “काफी नुकसान पहुंचा रही है और चौकियों को नष्ट कर रही है”, जबकि उन्होंने चौकियों पर गोलीबारी के कथित दृश्य साझा किए. उन्होंने दावा किया कि सेना को कोई जान का नुकसान नहीं हुआ है.
लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा, “हम 150 स्वतंत्र पत्रकारों को मुरीदके, कोटली और अन्य जगहों पर ले गए, ताकि यह पता चल सके कि ये ‘काल्पनिक’ आतंकी ठिकाने हैं ही नहीं, बल्कि ये मस्जिदें हैं, जहां नागरिकों की हत्या की गई. मुझे नहीं लगता कि युद्ध में ऐसा कभी हुआ है.”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय हमलों के समय 57 उड़ानें हवा में थीं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों उड़ानें शामिल थीं. ये उड़ानें केवल पाकिस्तानी एयरलाइनों तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि इनमें सऊदी, कतर, अमीरात, एतिहाद, गल्फ एयर, चीनी और कोरियाई उड़ानें भी शामिल थीं.
चौधरी ने कहा, “भारत की कार्रवाई की जितनी भी निंदा की जाए, कम है. 6 और 7 मई को किए गए हमले हमारे दुश्मन के असली, शर्मनाक चेहरे को उजागर करते हैं—इतना भयभीत और कमजोर कि वह हमारी सेना से सीधे भिड़ने के बजाय अंधेरे की आड़ में नागरिकों और आबादी वाले इलाकों पर हमला करने का सहारा लेता है.” भारतीय सेना द्वारा रात भर किए गए हवाई हमलों की आलोचना करते हुए, डीजी आईएसपीआर ने आतंकवाद निरोध के बहाने नागरिकों और आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाने की वैधता पर सवाल उठाया.
उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत ने नीलम-झेलम जलविद्युत परियोजना पर हमला किया, जो 1977 के जिनेवा कन्वेंशन के अतिरिक्त प्रोटोकॉल I के अनुच्छेद 54 और 56 के सीधे विरोध में थी, जो नागरिक आबादी के अस्तित्व के लिए आवश्यक वस्तुओं, जैसे कि पेयजल आपूर्ति और सिंचाई प्रणालियों पर हमला करने, नष्ट करने, हटाने या बेकार करने पर रोक लगाता है.
घायल बच्चों सहित हमलों से प्रभावित लोगों के दृश्य दिखाते हुए उन्होंने पूछा, “क्या ये वे तथाकथित आतंकवादी हैं, जिनके बारे में भारत दावा करता है कि उन्होंने 6 और 7 मई की रात को उन्हें निशाना बनाया था? हम भारत से यही उम्मीद करते है.”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि भारत ने बार-बार ऐसी रणनीति अपनाई है और अपने प्रॉक्सी के माध्यम से पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रखा है, और भारत पर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और लक्षित हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा, “यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि एक बार जब आप आतंकवाद का समर्थन करना शुरू कर देते हैं, तो आपको खुद आतंकवादी बनने में बस एक पल लगता है. इन कृत्यों में भारत की भूमिका के बारे में दुनिया के सामने स्पष्ट सबूत और साक्ष्य हैं.”
डीजी आईएसपीआर ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के बयान को दोहराया, जिसमें पुष्टि की गई कि पाकिस्तान के सशस्त्र बलों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के अनुरूप, अपनी पसंद के समय, स्थान और तरीके से भारतीय आक्रमण का जवाब देने के लिए अधिकृत किया गया है. उन्होंने पीएम शरीफ की बात दोहराई और यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि पाकिस्तान “अपने प्रत्येक निर्दोष नागरिक के खून का बदला लेगा.” इस बीच, थल सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने पाकिस्तान वायु सेना मुख्यालय का दौरा किया और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू से मुलाकात की.
यात्रा के दौरान, सेना प्रमुख ने कथित तौर पर भारतीय वायु सेना के संबंध में वायु सेना प्रमुख और वायु सेना फाल्कन्स को निर्देश जारी किए.
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