नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने और आपसी समझ बन जाने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं. कई खुफिया इनपुट्स से पता चला है कि अलग-अलग आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल (छुपे हुए आतंकी नेटवर्क) दोबारा सक्रिय हो गए हैं और पाकिस्तान में अपने आकाओं को सैनिकों की गतिविधियों की जानकारी भेज रहे हैं. इससे कश्मीर घाटी में कुछ समय की शांति के बाद फिर से आतंकवादी हमलों का खतरा बढ़ गया है, दिप्रिंट को पता चला है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने कश्मीर में हाल के वर्षों में सक्रिय और निष्क्रिय रहे ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) पर कड़ी नजर रखी हुई है.
तकनीकी खुफिया इनपुट्स के अनुसार, पाया गया है कि इलाके के कई स्लीपर सेल सीधे पाकिस्तान में अपने आकाओं के संपर्क में हैं, अधिकारी ने बताया.
इन नेटवर्क्स को सुरक्षा बलों और महत्वपूर्ण ठिकानों की जानकारी जैसे संवेदनशील और रणनीतिक सूचनाएं व्हाट्सएप, टेलीग्राम और सिग्नल जैसे मैसेजिंग ऐप्स के जरिए भेजते हुए पाया गया है. अधिकारी ने कहा, “ये दोबारा सक्रिय हो गए हैं. हमारे पास कई इनपुट्स हैं कि ये OGWs पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स को सैनिकों की मूवमेंट, तैनाती और उनके दृश्य समेत अन्य जरूरी जानकारियां भेज रहे हैं. यह बहुत नुकसानदायक है.”
इस खतरे से निपटने के लिए स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने दक्षिण कश्मीर के कई जिलों में छापेमारी की है और 100 से ज्यादा लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.
दूसरे अधिकारी ने बताया, “प्रारंभिक जांच में साफ हुआ है कि ये लोग आतंकवादी साजिशों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. ये भारत विरोधी विचार फैला रहे हैं, जो देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने के साथ-साथ जनता में असंतोष, अव्यवस्था और सांप्रदायिक नफरत भड़काने का काम कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि ये आतंकी सहयोगी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी संगठनों के कमांडरों के इशारे पर ऑनलाइन उग्रवाद फैलाने वाले प्रचार में भी शामिल थे, खासकर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद.
पहले अधिकारी के मुताबिक, ये स्लीपर सेल कश्मीर घाटी में पहले से मौजूद घुसपैठियों और विदेशी आतंकियों को लॉजिस्टिक सहायता भी दे रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि बीते कुछ हफ्तों में इनकी गतिविधियों में तेजी आई है.
उन्होंने कहा, “गुरेज़ में इजमार्ग, कुपवाड़ा में केरन और यहां तक कि बोटा पाथरी के ऊपर से भी घुसपैठ की कोशिशें की गईं। इनमें से ज्यादातर को नाकाम किया गया, लेकिन कुछ आतंकी सीमा पार गोलीबारी का फायदा उठाकर अंदर घुसने में सफल हो सकते हैं.” उन्होंने आगे कहा, “घाटी में आतंकी गतिविधियों में अचानक इजाफा हुआ है. हमें इनके देखे जाने की कई सूचनाएं मिल रही हैं, जिन पर हम काम कर रहे हैं.”
हालांकि, एक बीएसएफ अधिकारी ने किसी भी ऐसे खुफिया इनपुट की पुष्टि नहीं की. उन्होंने कहा, “इस दौरान बॉर्डर हाई अलर्ट पर था. घुसपैठ की कोशिशें हुईं, लेकिन उन्हें सफलतापूर्वक रोका गया. हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि कोई ग्रुप भारतीय सीमा में दाखिल हुआ हो.” अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर यह बात कही.
इस बीच, पहलगाम हमले के आरोपी अभी भी फरार हैं. उन्हें पकड़ने के लिए अभियान जारी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है.
गुरुवार को, पुलवामा जिले के नाडेर त्राल इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े तीन आतंकी मारे गए.
इससे पहले मंगलवार को, शोपियां जिले के हीरपोरा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन आतंकी मारे गए. मुठभेड़ सुबह 8 बजे उस समय शुरू हुई जब इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया.
शुरुआत में इन आतंकियों के पहलगाम हमले से जुड़े होने की आशंका जताई गई थी, लेकिन बाद में कोई संबंध नहीं पाया गया। मंगलवार को मारे गए तीनों आतंकी दि रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े थे, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक अंग है.
भारत सरकार TRF को पहलगाम हमले का जिम्मेदार मानती है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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