scorecardresearch
शुक्रवार, 6 जून, 2025
होमदेशसंयुक्त राष्ट्र की समितियों में पाक को अहम जिम्मेदारी मिलना भारत की कूटनीति पर ‘तमाचा’: चव्हाण

संयुक्त राष्ट्र की समितियों में पाक को अहम जिम्मेदारी मिलना भारत की कूटनीति पर ‘तमाचा’: चव्हाण

Text Size:

मुंबई, छह जून (भाषा) कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू किया और इस बीच, संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख समितियों में इसे अहम जिम्मेदारी मिलना भारतीय कूटनीति पर एक ‘तमाचा’ है।

चव्हाण ने ‘पीटीआई- वीडियो’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि देश की जनता और राजनीतिक नेता जानना चाहते हैं कि पिछले महीने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रोकने के लिए सहमति कैसे बनी और क्या इसके लिए किसी तीसरे पक्ष ने हस्तक्षेप किया था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भारतीय कूटनीति की यह आलोचना, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति की इस साल की अध्यक्षता पाकिस्तान को मिलने और 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति का उपाध्यक्ष भी उसे बनाये जाने का जिक्र किये जाने पर की।

चव्हाण ने कहा, ‘‘एक तरफ हम दुनिया को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है और दूसरी तरफ वैश्विक समुदाय पाकिस्तान का सम्मान कर रहा है। यह भारतीय कूटनीति पर तमाचा है कि पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने वाले समूह का अध्यक्ष बना दिया गया है… मैं इससे ज्यादा क्या कह सकता हूं।’’

चव्हाण से सवाल किया गया कि क्या पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संपर्क के तहत सरकार द्वारा विदेशों में भेजे गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अपने लक्ष्य में सफल रहे? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमने केवल समकक्ष सांसदों के साथ बैठक की, निर्णय लेने वालों के साथ नहीं। पाकिस्तान ने हमें मात दे दी है। पाकिस्तान अपने प्रधानमंत्री को विदेश भेज रहा है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री विदेश नहीं जा रहे हैं।’’

पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष को रोकने के लिए मध्यस्थता करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ‘सरेंडर’ तंज कसा था।

इस बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने सीधा जवाब देने से बचने की कोशिश की, लेकिन कहा कि देश को यह जानने की जरूरत है कि भारत-पाक सैन्य संघर्ष कैसे रुका।

उन्होंने कहा,‘‘मैं राहुल गांधी द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों पर नहीं जाना चाहता। लेकिन हां, हम भी देश के नागरिक और राजनीतिक नेता के तौर पर जानना चाहेंगे कि संघर्ष विराम के लिए सहमति कैसे बनी। देश जानना चाहता है कि क्या यह (सैन्य संघर्ष रोकने पर सहमति) दोनों डीजीएमओ (भारत और पाकिस्तान) की बातचीत बाद हुआ? अमेरिकी राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप को संघर्ष विराम के बारे में किसने बताया? क्या गोपनीयता का कोई उल्लंघन हुआ था?’’

चव्हाण ने सवाल किया, ‘‘राहुल गांधी ने जो कहा है, वह समझ में आता है…शब्दों पर नहीं जाइए। हमने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की अनुमति क्यों दी और प्रधानमंत्री, ट्रंप के दबाव में क्यों झुक गए?’’

चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस की मांग दोहराई।

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘संघर्षविराम एक बड़ा मुद्दा है और इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। संसद के मानसून सत्र का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है, ताकि कोई भी विशेष सत्र की मांग न कर सके। मैं गारंटी देता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने का साहस नहीं करेंगे।’’

महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) के सभी दलों द्वारा आगामी स्थानीय चुनाव मिलकर लड़ने के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा, ‘‘एक सप्ताह के भीतर हमारा प्रतिनिधिमंडल दोनों दलों (शिवसेना-उबाठा और राकांपा-एसपी) के नेताओं से मिलेगा और इस पर उनके विचार जानेगा।’’

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments