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Tuesday, 5 November, 2024
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दक्षिण एशिया विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए पाकिस्तान ने नहीं दिए 5.10 लाख डॉलर

विदेश मंत्रालय ने दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय में सदस्य देशों के योगदान की स्थिति के बारे में संसद की समिति को लिखित में यह जानकारी दी.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान ने नई दिल्ली स्थित दक्षिण एशिया विश्वविद्यालय (एसएयू) के निर्माण के लिये अपने अंशदान के 5.10 लाख डालर का भुगतान नहीं किया है. विदेश मंत्रालय ने दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय में सदस्य देशों के योगदान की स्थिति के बारे में संसद की समिति को लिखित में यह जानकारी दी.

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश अनुदान की मांगों पर विदेश मामलों से संबंधित समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2019 की स्थिति के अनुसार 2010 से 2014 के दौरान अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका ने दक्षिण एशिया विवि के निर्माण के पहले चरण के परिचालनात्मक बजट के लिये अपने अपने अंशदान का भुगतान कर दिया है.

इसमें कहा गया है, ‘पाकिस्तान पर 5,10,436 डॉलर का योगदान अभी भी बकाया है.’

गौरतलब है कि विवि के परिचालनात्मक व्यय को दक्षेस के सदस्य देशों के तय अंशदान से पूरा किया जाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने 2009 में दक्षिण एशियाई विवि परिसर स्थापित करने के लिये नई दिल्ली स्थित मैदानगढ़ी में 100 एकड़ जमीन अधिसूचित की. सितंबर 2011 में कुल 93.68 एकड़ जमीन सौंपी गई. जमीन का मालिकाना हक विदेश मंत्रालय के पास है.

मंत्रालय के अनुसार, इस पर निर्माण कार्य 4 पैकेजों में मई 2015 में शुरू किया गया. पैकेज 1 के तहत चहारदीवारी और कार्यालय का निर्माण पूरा हो चुका है. पैकेज 2 के तहत 5 भवनों का निर्माण किया जाना है जिसमें 30 सितंबर 2019 तक 83 प्रतिशत प्रगति हुई है. पांच में से चार भवनों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक आवासीय ब्लॉक का निर्माण कार्य फरवरी 2020 में पूरा किया जाना है क्योंकि इन भवनों के लिये ठेकेदारों को जमीन कानूनी मामलों के चलते 19 माह देर से सौंपी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पैकेज 3 के तहत 30 सितंबर 2019 तक 61 प्रतिशत कार्यों में प्रगति हुई और यह 2020 तक पूरा किये जाने की संभावना है.

आगे रिपोर्ट में कहा गया है कि पैकेज 4 के तहत शेष भवनों का निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं किया जा सका क्योंकि अधिग्रहण और अदालत संबंधी कई समस्याएं हैं.

मंत्रालय ने समिति को बताया कि परियोजना में विलंब का कारण जमीन पर कब्जा, अदालत के मामले, दिल्ली जल बोर्ड, दक्षिण दिल्ली नगर निगम, डीपीसीसी से अनापत्ति जैसी सांविधिक अनुमोदन प्रक्रिया में विलंब हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय के प्रयास से छह मामलों में 16.93 एकड़ जमीन कानूनी विवाद से मुक्त करा ली गई है जबकि छह मामलों में 14.96 एकड़ जमीन के संबंध में कानूनी विवाद है जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है.

संसदीय समिति ने सरकार से दक्षिण एशिया विवि के शेष कार्यों को समयबद्ध ढंग से पूरा करने तथा इससे जुड़े मुद्दों का यथाशीघ्र समाधान निकालने को कहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशियाई विवि के परिसर के निर्माण की धीमी गति और परिचालनात्मक लागत में कटौती के कारण आवंटन संशोधित प्राक्कलन स्तर पर घटाकर 246 करोड़ रूपये कर दिया गया है.

संसदीय समिति ने हालांकि यह भी कहा कि वह यह नोट करती है कि विवि परिसर के निर्माण कार्य ने गति पकड़ ली है और उसे शेष कार्यों को समयबद्ध ढंग से पूरा किये जाने की उम्मीद है.

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