नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले की घटना के कुछ दिन बाद अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से फोन पर अलग-अलग बातचीत की और दोनों देशों से किसी भी तनाव से बचने का आग्रह किया।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अनुसार, जयशंकर के साथ बुधवार रात को फोन पर हुई अपनी बातचीत में रुबियो ने पहलगाम में ‘‘भयावह’’ आतंकवादी हमले में लोगों के मारे जाने पर दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ सहयोग को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता जताई।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने शरीफ से इस हमले की जांच में इस्लामाबाद के सहयोग का आह्वान किया।
पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे।
बातचीत के दौरान जयशंकर ने रुबियो से कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के दोषियों, उनका साथ देने वालों और इसकी साजिश रचने वालों को निश्चित रूप से न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘कल अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके दोषियों, उनका सहयोग करने वालों और साजिश रचने वालों को न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए।’’
जयशंकर-रुबियो की यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आतंकवादियों के तार सीमा पार से जुड़े होने के मद्देनजर भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई किए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री रुबियो ने पहलगाम में ‘‘भयावह’’ आतंकवादी हमले में लोगों के मारे जाने पर दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ सहयोग को लेकर प्रतिबद्धता जताई।’’
उन्होंने दक्षिण एशिया में तनाव कम करने और शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए भारत से पाकिस्तान के साथ काम करने का आग्रह किया।
रुबियो की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ के साथ फोन पर बातचीत के बारे में ब्रूस ने कहा कि विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को भारत के साथ मिलकर काम करने को कहा ताकि ‘‘तनाव कम हो, सीधा संवाद बहाल हो और दक्षिण एशिया में शांति एवं सुरक्षा बनी रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की निंदा करने की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों नेताओं ने हिंसा के जघन्य कृत्यों के लिए आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने की अपनी निरंतर प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’’
ब्रूस ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने इस नृशंस हमले की जांच में पाकिस्तानी अधिकारियों से सहयोग करने का आग्रह किया।’’
भारत ने इस भयावह हमले के तार ‘‘सीमा पार’’ से जुड़े होने और हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को शीर्ष रक्षा अधिकारियों से कहा था कि पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत को कैसे जवाब देना है, उसके लक्ष्य क्या हैं और इसे कब अंजाम देना है, इस पर निर्णय लेने के लिए सशस्त्र बलों को ‘‘अभियान संबंधी पूरी स्वतंत्रता’’ है।
बैठक के बाद सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश ने आतंकवाद को करारा झटका देने का संकल्प जताया है।
हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदमों की घोषणा की, जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी में एकमात्र भूमि सीमा चौकी को बंद करना और हमले के सीमा पार से तार जुड़े होने के मद्देनजर राजनयिक संबंधों को सीमित करना शामिल है।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइन कंपनियों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया और भारत के साथ समस्त व्यापार को निलंबित कर दिया जिसमें तीसरे देशों के माध्यम से कारोबार शामिल है। पाकिस्तान ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को खारिज करते हुए चेतावनी दी कि नदी के प्रवाह को रोकने के किसी भी कदम को ‘‘युद्ध की कार्रवाई’’ के रूप में देखा जाएगा।
भाषा सुरभि वैभव
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