नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) भारत और जापान ने सोमवार को पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट वैश्विक प्रयासों पर जोर दिया और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत को निशाना बनाकर ‘‘सीमा पार’’ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की पाकिस्तान की नीति की निंदा की।
गत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का मुद्दा सिंह और उनके जापानी समकक्ष जनरल नकातानी के बीच हुई बातचीत में प्रमुखता से उठा।
बातचीत में मुख्य रूप से टैंक इंजन और एयरो इंजन सहित नए क्षेत्रों में भारत-जापान रक्षा संबंधों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सिंह ने भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद की पाकिस्तान की नीति की निंदा की, जिसे सरकार और सरकार से इतर तत्वों के माध्यम से अंजाम दिया जाता है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने कहा कि इस तरह के हमले क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को अस्थिर करते हैं। राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और इसे बढ़ावा देने वाली सरकार प्रायोजित कार्रवाइयों के खिलाफ एकजुट रुख अपनाने का आह्वान किया।’’
मंत्रालय ने कहा कि जापानी रक्षा मंत्री ने आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया और भारत को ‘‘पूर्ण समर्थन’’ की पेशकश की।
इसने कहा कि दोनों मंत्रियों ने भारत और जापान के बीच ‘‘मजबूत’’ समुद्री सहयोग में ‘‘नए आयाम जोड़ने’’ पर सहमति व्यक्त की।
नकातानी की भारत यात्रा पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच हुई है।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में अपने प्रारंभिक वक्तव्य में सिंह ने कहा, ‘‘मैं पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत के साथ एकजुटता की मजबूत अभिव्यक्ति के लिए जापान सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं।’’
नकातानी ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की।
सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत की जापान के साथ विशेष, रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी है। द्विपक्षीय बैठक के दौरान हमने रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा की।’’
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह और नकातानी ने भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के रक्षा और सुरक्षा आयामों की समीक्षा की।
बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय शांति में योगदान देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’’
इसमें कहा गया कि मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच रक्षा अभ्यासों और आदान-प्रदान बढ़ने का स्वागत किया।
बैठक के दौरान, सिंह ने भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता, विशेषकर टैंक इंजन और एयरो इंजन सहित नए क्षेत्रों में जापानी पक्ष के साथ सहयोग करने की इसकी क्षमता को रेखांकित किया।
मंत्रालय के अनुसार, ‘‘दोनों पक्षों ने उद्योग सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं तलाशना भी शामिल है।’’
दोनों मंत्रियों ने साइबर और अंतरिक्ष जैसे उभरते क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘बातचीत द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों की मजबूत प्रतिबद्धता के साथ समाप्त हुई।’’
यह लाओ पीडीआर में आसियान रक्षा मंत्रियों की ‘मीटिंग-प्लस’ के अवसर पर नवंबर में हुई उनकी पहली मुलाकात के बाद छह महीने के भीतर दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच दूसरी बैठक थी।
उस बैठक में, सिंह और जनरल नकातानी ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच अधिक अंतर-संचालन के लिए आपूर्ति और सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधान पर विचार-विमर्श किया था।
यदि पारस्परिक आपूर्ति एवं सेवा समझौता हो जाता है, तो इससे दोनों देशों की सेनाओं को उपकरणों की मरम्मत और आपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की सुविधा मिलने के साथ ही समग्र रक्षा सहयोग को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
भाषा
नेत्रपाल माधव
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