नई दिल्ली/पहलगाम: बैसरन हत्याकांड के एक घंटे बाद, पहलगाम के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में पेट में गोली लगने से घायल पहला मरीज आया. उसका इलाज किया गया और आगे के ट्रीटमेंट के लिए तुरंत 40 किलोमीटर दूर अनंतनाग शहर में सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर दिया गया.
आतंकी हमले में ज़्यादातर घायलों का इलाज पहले प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में हुआ. मारे गए लोगों की पहचान करने के लिए एक अस्थायी शवगृह भी बनाया गया. बुनियादी ढांचे की कमी के कारण यह ज़्यादा कुछ नहीं कर सका. एक सीनियर हेल्थ प्रोफेशनल ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “हमें इस त्रासदी से निपटने के लिए एंबुलेंस, डॉक्टर, पैरामेडिकल विशेषज्ञ आदि के ज़रिए आस-पास के उप-जिला अस्पतालों से मदद मिली.” PHC, जो सिर्फ़ एक मंज़िल है और जिसके बाहर लकड़ी का ढांचा है, स्थानीय लोग अभी भी इसे स्वास्थ्य “डिस्पेंसरी” कहते हैं क्योंकि इसका संचालन बुनियादी ढांचा बहुत कम है. अगर पहलगाम के लिए 20 साल पुराने मास्टर प्लान का पालन किया गया होता, तो पीएचसी बहुत पहले ही 50 बिस्तरों वाला वह पूरी तरह से एक बड़ा उप-जिला अस्पताल बन चुका होता.
हालांकि, पारिस्थितिकी संबंधी चिंताओं, परिचालन संबंधी मुद्दों और जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) ने इस योजना को कई वर्षों के लिए पीछे धकेल दिया है, जबकि स्थानीय लोग पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा सुविधा की मांग कर रहे हैं.

पहलगाम के एक होटल मालिक और निवासी इमाद मीर ने दिप्रिंट को बताया, “पहलगाम कई सालों से एक प्रमुख पर्यटन स्थल रहा है और हम न केवल अपने लिए बल्कि आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक बड़े और बेहतर सुविधाओं वाले अस्पताल की मांग कर रहे हैं.” उन्होंने आगे कहा, “हमने कभी भी इस तरह के जघन्य हमले की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन बेहतर सुविधाओं से शायद दबाव कम हो जाता.”
2005-2025 पहलगाम मास्टर प्लान
पहलगाम मास्टर प्लान 2005-2025 जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा प्रस्तावित एक बहुचर्चित विकास योजना थी, जिसका उद्देश्य इस सुंदर शहर का पुनर्विकास और रिडिजाइन करना था. इसमें पहलगाम के मुख्य बाजार में होटल, रेस्तरां, सड़कें और एक उप-जिला अस्पताल बनाने के प्रस्ताव शामिल थे, जो न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए भी एक स्थल था.

लेकिन पहलगाम पीपुल्स वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन नाम के एक स्थानीय समूह ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए मास्टर प्लान को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. अनंतनाग जिले के उत्तरी भाग में स्थित यह शहर घने शंकुधारी जंगलों से घिरा हुआ है; आसपास के कई इलाके वन भूमि के रूप में आरक्षित हैं.
मीडिया रिपोर्टों और स्थानीय लोगों की गवाही के अनुसार, डर यह था कि मास्टर प्लान वन भूमि पर निर्माण की अनुमति देकर क्षेत्र की पारिस्थितिकी को अस्थिर कर सकता है. आखिरकार, हाई कोर्ट ने 2015 में एक नया मास्टर प्लान तैयार करने का आदेश दिया. मास्टर प्लान 2032, पहलगाम में आगे होने वाले सभी निर्माण कार्यों के लिए ब्लूप्रिंट बन गया.
2011 में स्वीकृत, निर्माण 2021 में शुरू हुआ
कानूनी विवादों के साथ-साथ स्थानीय निवासियों के नेतृत्व में कस्बे में एक कार्यशील उप-जिला अस्पताल बनाने के लिए एक अलग संघर्ष भी हुआ. पहलगाम के निवासी और गेस्ट हाउस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुश्ताक पहलगामी और इस प्रयास का नेतृत्व करने वालों में से मीर ने याद किया कि कैसे उन्होंने 2005-8 की गुलाम नबी आज़ाद सरकार और 2009-15 की उमर अब्दुल्ला सरकार से स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के उपयोग के लिए एक पूरी तरह कार्यात्मक अस्पताल बनाने की अपील की थी.
मीर ने तर्क दिया, “पहलगाम में पहले से ही एक कठिन इलाका है और फिर जब पर्यटक घोड़ों से गिरकर घायल हो जाते हैं या बूढ़े और बीमार लोगों को चिकित्सा की आवश्यकता होती है, तो हम क्या कर सकते हैं?” उन्होंने आगे कहा,”हमने हमेशा अपने पर्यटकों की अच्छी तरह से सेवा करने के लिए बड़ी सुविधाओं का अनुरोध किया था.”

जम्मू स्थित समाचार पत्र डेली एक्सेलसियर की खबरों के अनुसार, 2012 में केंद्र सरकार ने पहलगाम में एक अस्पताल की स्थापना को मंजूरी दी थी. यह तब की बात है जब गुलाम नबी आज़ाद केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री (MoS) थे.
नए अस्पताल की आधारशिला आखिरकार दस साल बाद, 2021 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने रखी.
सिर्फ़ जनहित याचिका की वजह से इसमें देरी नहीं हुई. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चार साल तक, शहर में किसी भी निर्माण गतिविधि के लिए मुख्य प्राधिकरण, पहलगाम विकास प्राधिकरण, नए अस्पताल के निर्माण के लिए जगह तय करने में असमर्थ रहा.
और भले ही निर्माण 2021 में शुरू हुआ हो, लेकिन इमारत अभी तक पूरी नहीं हुई है.
पहलगामी ने कहा, “संरचना बन गई है, उपकरण मौजूद हैं, लेकिन यह अभी भी चालू नहीं है, यही वजह है कि मरीजों को मुख्य अस्पताल के बजाय केवल पीएचसी में लाया जाता है.”
मंगलवार को हुए आतंकी हमले के बाद, स्थानीय व्यवसायी अपने शहर में बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता के बारे में और भी ज़्यादा अड़े हुए हैं.
मीर ने कहा, “यह हमारे बारे में नहीं, बल्कि पर्यटकों के बारे में भी है. बैसरन घाटी में प्रतिदिन लगभग 2,000 लोग आते हैं, और अमरनाथ यात्रा के दौरान हज़ारों लोग आते हैं. उनके इलाज के लिए हमारे पास सिर्फ़ एक प्राथमिक केंद्र कैसे हो सकता है?”
उन्होंने कहा, “हमें यह स्वीकार करना होगा कि पहलगाम का प्रशासन और बुनियादी ढांचा हमें और हमारे मेहमानों को तब निराश कर गया, जब हमें उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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