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Friday, 14 March, 2025
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‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून का अध्ययन करने वाली समिति गठित करने पर ओवैसी ने की आलोचना

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हैदराबाद, 17 फरवरी (भाषा) ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले की आलोचना की जिसमें जबरन धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ के खिलाफ नये कानून के कानूनी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है।

ओवैसी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार के पास अंतरधार्मिक विवाहों की जांच के अलावा कोई और काम नहीं है, क्योंकि उसने अब ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने के लिए एक समिति गठित कर दी है।

उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि मोदी सरकार ने भी कहा है कि लव जिहाद की कोई परिभाषा नहीं है और कई जांच एजेंसियों ने साजिश के सिद्धांत को खारिज कर दिया है।

हैदराबाद से सांसद ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पहले से ही किसी भी व्यक्ति को अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर शादी का वादा करने पर अपराधी मानता है। जबरन धर्म परिवर्तन भी अपराध की श्रेणी में है।

एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, ‘‘यह केवल एक ‘अंकल सरकार’ बनाने की कोशिश है। सरकार इस बात में दखल देती है कि आप किससे शादी करते हैं, क्या खाते हैं, कौन सी भाषा बोलते हैं, कहां रहते हैं और किस धर्म को मानते हैं।’’

भाषा रवि कांत रवि कांत रंजन

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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