नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को भारत की चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को रेखांकित करते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के माध्यम से वोटों की गिनती में एक भी विसंगति नहीं पाई गई।
कुमार दिल्ली विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज देश को बताना चाहता हूं। उच्चतम न्यायालय द्वारा 2019 में दिए गए आदेश के बाद से कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से पांच वीवीपैट की गिनती अनिवार्य है, 67,000 से अधिक वीवीपैट की जांच की जा चुकी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि 4.5 करोड़ से अधिक (वीवीपैट) पर्चियों का सत्यापन किया जा चुका है। और मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि 2019 के बाद से नई मशीनों के साथ एक वोट का अंतर भी नहीं पाया गया है।’’
कुमार ने यह भी बताया कि कुछ पुरानी मशीनों में तकनीकी खराबी या मॉक पोल डेटा को नहीं हटाया जाना जैसी छोटी से छोटी त्रुटि का भी ध्यान रखा जाता है।
उन्होंने विस्तार से बताया, ‘‘ऐसे उदाहरण हो सकते हैं जहां मतगणना प्रक्रिया के दौरान मशीन का डेटा अलग रखा जाता है। हालांकि, इन उदाहरणों की अच्छी तरह से समीक्षा की जाती है और पर्चियों की गिनती की जाती है कि कहीं वे संभावित रूप से जीत के अंतर को प्रभावित तो नहीं कर रहे हैं।’’
कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चुनावी प्रक्रिया के हर पहलू के लिए दिशानिर्देश का, मतदाता सूची से मशीन हैंडलिंग तक, कड़ाई से पालन किया जाता है और राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाता है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने वोटों में छेड़छाड़ के आरोपों को खारिज करते हुए चुनाव तंत्र की पारदर्शिता और मजबूती को दोहराया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी प्रक्रिया न केवल व्यापक है बल्कि पारदर्शी भी है। फॉर्म 20, जिसमें विजेताओं और हारने वालों का सटीक विवरण होता है, सभी उम्मीदवारों को सौंप दिया जाता है।’’
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