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Tuesday, 23 April, 2024
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पटना में दुल्हन के कमरे में शराब की तलाशी से आक्रोश, नीतीश ने किया कार्रवाई का बचाव

बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा शराबबंदी को कड़ाई से लागू नहीं करने के लिए अधिकारियों को दंडित करने के निर्णय के कुछ ही दिनों बाद पटना पुलिस की टीमों ने 50 से अधिक मैरिज हॉल्स पर छापा मारा. कहीं से भी किसी बरामदगी या गिरफ्तारी की कोई पुष्टि नहीं हुई है.

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पटना: अवैध शराब के लिए बिहार पुलिस की तलाश अब मैरिज हॉल्स और दुल्हनों के कमरों तक पहुंच गई है.

बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा शराबबंदी को कड़ाई से लागू नहीं करने के लिए अधिकारियों को दंडित करने के निर्णय के कुछ ही दिनों बाद पटना पुलिस की टीमों ने रविवार को सिर्फ तीन स्थानों में स्थित 50 से अधिक मैरिज हॉल्स पर छापा मारा.

पटना उच्च न्यायालय की वकील छाया मिश्रा ने दिप्रिंट से बात करते हुए आरोप लगाया कि ये टीमें बिना अनुमति या यहां तक कि बिना किसी महिला कांस्टेबल की उपस्थिति के दुल्हनों और अन्य महिलाओं के कमरों में घुस गईं.

हालांकि, इस तरह की खोजबीन से कुछ भी नहीं मिला. पुलिस की ओर से शराब की बरामदगी या किसी शख्स गिरफ्तारी की कोई पुष्टि नहीं हुई है.

दिप्रिंट ने पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उपेंद्र कुमार शर्मा और महानिरीक्षक संजय सिंह से भी संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.

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इस तरह की छापेमारी से वहां उपस्थित लोगों में आक्रोश फैल गया, जिनका दावा है कि ऐसा करके उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया था. अन्य नागरिकों ने भी सरकार पर सवाल उठाए.

लालू प्रसाद के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल समेत विपक्षी दलों ने राज्य में शराबबंदी पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुए सरकार के रवैये पर हमला किया. हालांकि, मुख्यमंत्री ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि जिन्होंने कुछ नहीं किया है उन्हें डरने की कोई जरूरत भी नहीं है.


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इस छापेमारी के दौरान क्या हुआ?

पटना पुलिस की टीमों ने पाटलिपुत्र कॉलोनी और उससे सटे राजीव नगर स्थित करीब 30 मैरिज हॉल्स में छापेमारी की.

नेपाल की एक चिकित्सक डॉक्टर आयशा झा, जो अपने चचेरी बहन की शादी में शामिल होने आई थीं, इनमें से एक स्थान पर मौजूद थीं.

झा ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने जब देखा कि पुलिस उस कमरे में प्रवेश कर रही है जहां दुल्हन तैयार हो रही थी तो मैं स्तब्ध रह गई. उन्होंने हमें हमारे सूटकेस खोलने के लिए कहा और हमारा बाथरूम भी चेक किया. मैं विश्वास नहीं कर सकती कि किसी लोकतंत्र में ये चीजें हो सकती हैं जो एक नागरिक की निजता के उल्लंघन के समान हैं.’

रामकृष्ण नगर में एक अन्य टीम ने तीन मंजिला मैरिज हॉल बोध विहार मंडप में छापा मारा और दुल्हन के कमरे में पहुंच गई जहां वह अपने दोस्तों के साथ बैठी थी. पुलिस टीम ने महिलाओं से अपने सूटकेस खोलने को कहा और यहां तक कि उनका बाथरूम भी चेक किया. इस टीम ने मोहल्ले में करीब 25 मैरिज हॉल्स की तलाशी ली.

एक महिला, जो बोध विहार मंडप में मौजूद थी लेकिन अपनी पहचान जाहिर करने को इच्छुक नहीं थी, ने कहा ‘हमें इस बारे में भी सूचित नहीं किया गया था कि पुलिस हमारे कमरे की जांच करने जा रही है. पुलिस अधिकारी ने भी माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें ‘ऊपर से’ आदेश मिले हैं.’

नागरिकों का आक्रोश

इस छापेमारी से पटना के नागरिकों और राजनेताओं में आक्रोश फैल गया है.

अधिवक्ता छाया मिश्रा का कहना है, ‘दुल्हन और अन्य महिला अतिथियों की आलमारी में खोज करना निश्चित रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण के अधिकार पर हमला है. यह एक मौलिक अधिकार है… माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी सितंबर 2018 में आधार कार्ड के मामले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया था.’

उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि बिहार पुलिस में बड़ी संख्या में महिलाकर्मियों की भर्ती के बावजूद सभी थानों में उनकी तैनाती सुनिश्चित करने के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए हैं.

पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एन.के. चौधरी ने कहा, ‘यह पुलिस की एक दमनात्मक और अक्षम्य कार्य है तथा यह निजता के अधिकार पर हमला करता है. बिहार में शादियों के रीति-रिवाजों में महिलाओं की भूमिका के बारे में सभी को पता है. पुलिस द्वारा बिना किसी विशेष सूचना के उनके कमरों में छापा मारा अकल्पनीय लगता है और इससे बचा जा सकता था.’

पटना में कार्यरत महिला कार्यकर्ता निवेदिता झा ने कहा, ‘नीतीश कुमार के इस दावे के उलट कि शराबबंदी ने महिलाओं की स्थिति में सुधार किया है, यहां महिलाएं परेशान हो रहीं हैं क्योंकि उनके परिवार के पुरुष सदस्य शराब का सेवन करते हैं और फिर पकड़े जाते हैं. बाद में, वे अपने परिवार के पुरुषों को जेल से बाहर निकालने के लिए न्यायिक प्रणाली के साथ संघर्ष करती रहतीं हैं. अब तो रीति-रिवाजों और परम्पराओं में भी महिलाओं की निजता का हनन हो रहा है.’

विपक्ष द्वारा कानून खत्म करने की मांग, सीएम बोले- इसमें कुछ भी गलत नहीं

राजद प्रमुख लालू प्रसाद, जिन्होंने 2016 में शराबबंदी कानून के लागू होने के वक्त पर नीतीश कुमार का समर्थन किया था कयोंकि तब वे उनके सहयोगी थे, ने कहा कि अब इस कानून की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि पुलिस शादियों में महिलाओं को परेशान कर रही है.

लालू ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने 2016 में ही नीतीश को चेतावनी दी थी कि बिहार में शराबबंदी असंभव सी होगी क्योंकि बिहार एक टापू बन जाएगा और हर तरफ से शराब की तस्करी होगी. तब नीतीश ने मुझे आश्वासन दिया था कि वह इसे पूरी तरह से लागू करेंगे. अब यह स्पष्ट है कि यह विफल हो रहा है.’

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी पुलिस की छापेमारी पर सवाल उठाया. उन्होंने पूछा ‘शादियों में तो परिवार के मर्द सदस्यों को भी दुल्हन के कमरे में जाने की अनुमति नहीं होती है. पुलिस इतनी आजादी कैसे ले सकती है?’

हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस सब से बेफिक्र हैं. नीतीश ने सोमवार को पटना में एक समारोह में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘इसमें कुछ भी गलत नहीं है. पुलिस को शराब का सेवन रोकने का काम सौंपा गया है. लोगों के विवाह स्थल पर शराब पी कर पहुंचने की सूचना मिलने के बाद ही उन्होंने छापेमारी की होगी. अगर उन्होंने (शादी में उपस्थित लोगों ने) कुछ भी गलत नहीं किया है, तो उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है.‘

यह तथ्य कि प्रशासन इस सारी आलोचना से अप्रभावित रहा है, का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस के एक बयान के अनुसार पटना के संभागीय आयुक्त संजय अग्रवाल ने सोमवार को होटल और विवाह स्थलों के मालिकों के साथ बैठक की और उनसे कहा कि अगर उनके स्थलों पर शराबबंदी के कानूनों का उल्लंघन होता पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. अग्रवाल ने उनसे अपने-अपने परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने और इसकी फुटेज को निरीक्षण के लिए सुरक्षित रखने को भी कहा.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अक्टूबर में बिहार में 2,243 छापेमारियां हुईं और 708 मामले दर्ज किए गए. करीब 750 लोगों को गिरफ्तार किया गया.


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आखिर नीतीश ने अचानक इतनी सख्ती क्यों बढ़ा दी?

अक्टूबर और नवंबर के महीनों में जहरीली शराब की कई घटनाओं में 40 से अधिक लोगों की मौत नीतीश सरकार के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी का कारण बनी थी.

16 नवंबर को, मुख्यमंत्री ने 7 घंटे की समीक्षा बैठक की और इसके बाद यह घोषणा की गई थी कि शराबबंदी को और सख्ती से लागू किया जाएगा. 18 नवंबर को उन्होंने के.के. पाठक को एक बार पुनः आबकारी एवं मद्यनिषेध विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया. बिहार कैडर के सख्त मिजाज छवि वाले आईएएस अधिकारी पाठक ने 2016 में मद्यनिषेध कानून तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

उनके अधिकारियों द्वारा अवैध शराब व्यापार में शामिल होने के आरोप में नालंदा के जनता दल (यूनाइटेड) के एक नेता को गिरफ्तार करने के बाद 2017 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया था.

जद(यू) के एक विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘अवैध शराब वाली त्रासदी के बाद नीतीश कुमार के पास यह संदेश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था कि उनकी सरकार शराबबंदी को लेकर गंभीर है. मैं भविष्य में भी पुलिस द्वारा शादियों में तलाशी की संभावना से इंकार नहीं कर सकता.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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